अन्य राज्यों कीछत्तीसगढ़नॉलेजन्यूज़हेल्थ

जाती वर्ग बदलकर ईटभट्टे का परंपरागत व्यवसाय दो नंबर मे धड़ल्ले से चल रहा

बिलासपुर :- वैसे तो पुरे प्रदेश के अलग अलग जिले से ऐसी खबर आ रही है कि जो लोग ईटभट्टा का व्यवसाय कर रहे उन मे से कुछ लोग कुंभकार या प्रजापति जाती वर्ग मूलतः छत्तीसगढ़ के माने जाते है किंतु अधिकांस लोग इस व्यवसाय का लाभ उठाने दुसरे प्रदेश से आए हुए है और अपने आपको छत्तीसगढ़ के मूलनिवासी होने कि मिथ्याजनक शपथ देने से भी नही घबराते है ऐसा ही कुछ सूत्रो से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिल्हा ब्लॉक के सिलपहरी में बड़े ईट के भट्टे हैं इनमें से कुछ ने तो सरकारी जमीन पर कब्जा करके कुंभकार होने का स्वांग रच कर ईट बनाने का साल दर साल काम किया है और स्वयं को छत्तीसगढ़िया बताते हैं जबकि जाति से यह लोग पाडे हैं और रीवा से वास्ता रखते हैं 2001 के आसपास इन्होंने छत्तीसगढ़ का रुख किया और यहां आकर उन गांव में सब्जी भाजी का धंधा शुरू किया जहां पर नदी अथवा बड़ा नाला है बिल्हा के जिस गांव की चर्चा हम कर रहे हैं वहां पर भट्टे वाले ने लगभग 5 एकड़ सरकारी भूमि पर कब्जा कर रखा है ईट का धंधा बिना पानी के हो नहीं सकता तो पास के एक ट्यूबवेल में जो कि सरकारी है मैं समर्सिबल पंप डाल दिया है जब वह सरकारी खर्च पर हुआ तो उस वक्त के अधिकारी ने बोर में समर्सिबल क्यों नहीं डाला क्या सरकारी बोर में निजी पंप डालने से बोर निजी हो सकता है पाडे जी हर साल 4 से 5 लाख ईट बना रहे हैं और जाति बदल कर कुंभकार होने का लाभ उठा रहे हैं घर में सामान्य उपभोक्ता की हैसियत का बिजली कनेक्शन रखें हैं और व्यावसायिक स्तर की बिजली खपाते हैं ईट के बड़े भट्टे के साथ किराना दुकान भी संचालित करते हैं भट्टे पर पूछताछ करने पर नेताओं से पहुंच की धमकी भी देते हैं कई एकड़ जमीन पर कब्जे की अलग-अलग कहानियां बताते हैं कभी सरकारी जमीन को निजी बताकर किराए पर लेना बोलते हैं कभी इसे पट्टे की जमीन बताते हैं ज्यादा प्रश्न करने पर धमकी देते हैं छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के शासनकाल में कुंभकारों को दो लाख ईट स्वयं के उपयोग के लिए बनाने की छूट का प्रावधान हुआ था जोगी की सोच राज्य के परंपरागत छोटे भट्टे चलाने वालों के लिए थी किंतु उनकी इस सोच का बेजा लाभ बाहरी लोग ने उठाया और पिछले 18 वर्षों में जम कर धंधा किया सरकारी जमीन, सरकारी पानी और सरकार को ठेंगा साथ ही क्षेत्र में जमकर राजनीति भी की और यहां के असली वासियों का जमकर शोषण किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button