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जान जोखिम में डाल शहर की सड़कों में  गोवंश पकड़ रहे निगम कर्मी, सुरक्षा को लेकर उठते सवाल

रायगढ़। रायगढ़-हाल ही में कुछ दिन पहले सड़क दुर्धटना वृंदावन चौक मैं 6 गायों की मौत पर पूरे रायगढ़ जिले में आक्रोश देखने को मिला। सोशल मीडिया में लोगों ने जमकर भड़ास निकाली। प्रिंटमीडिया में भी यह हेड लाइन बना। इस आक्रोश को देखकर नगर निगम रायगढ़ के आंखों की पट्टी हटी। इसी कडी में निगम प्रशासन ने शहर के भीतर आवारा घुम रहे मवेशियों पर अंकुश लगाने के लिए उनकी धर पकड़ शुरू कर दी है। मगर बिना सुरक्षा साधनों के जान जोखिम में डालकर गौ वंश पकड़ रहे इन निगम कर्मियों के जान माल की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

नए निगम कमिश्नर को आये अभी एक महीना भी नहीं बीता, इसलिए उन पर सवाल उठाना तो अभी वाजिब नहीं। मगर निगम मे मातहत कर्मचारियों की कार्यशैली किसी से छुपी नहीं है..? शहर में घूमते हुए गोवंश ओं के लिए कई बार आवाज उठाई गई है, मगर परिणाम सबको मालूम है। भला हुआ कि राय के मुयमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसी हते गोवंश के लिए महत्वकांक्षी योजना गोवंश न्याय योजना को अतिशीघ्र पटल पर लाने की बात कही। जिसमें आवारा घूम रहे गोवंश के लिए गौशाला बनाने की बात कही गई। रोका-छेका अभियान का भी शुरुआत किया गया।
सरकार द्वारा शहरी क्षेत्र में इसकी जवाबदारी निगम को दी गई। आवारा पशुओं को पकड़ कर उनके चारे पानी का प्रबंध करना। उनके लिए गौशाला के लिए जगह को चिन्हित करना। यह सब कुछ निगम के जिमे है। निगम के द्वारा जिले के सड़को गलियों में घूम रहे आवारा मवेशियों पर धरपकड़ की कार्यवाही शाम के समय बीते 1 हते से की जा रही है, परंतु आवारा पशुओं को पकडऩे वाले युवकों की जान जोखिम में डालकर।

बिना सुरक्षा व्यवस्था के पशुओं को पकडऩे की कार्रवाई भगवान भरोसे..?
शहर के कोतरा रोड़ में आवारा मवेशियों को पकडऩे के दौरान निगम कर्मियों की सुरक्षा की उपेक्षा साफ देखी गई। गोवंश को पकडऩे गए किसी भी कर्मचारी के पैर में सेटी शूज तो दूर जूते तक नही थे। ऐसे में यदि इनको गोवंश का खुर किसी के पैर पर लग जाए तो अंजाम क्या होगा? यह तो जिस पर बीतेगी वही जानेगा। दूसरी बात इन्होंने सिर्फ एक ट्रैफिक जैकेट पहना हुआ था। जो गोवंश के सिर के द्वारा की गई चोट के स्थिति में काफी गंभीर साबित होगा। अगर चोट लगी तो इससे छाती की पसलियों को भी नुकसान हो सकता है। क्रिकेट के खिलाड़ी ड्यूस बॉल से अपने नाजुक अंग बचने के लिए डबन का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में शरीर के नाजुक अंग में चोट लगने की संभावना को इनकार नहीं किया जा सकता।

इनके सर पर भी सुरक्षा व्यवस्था के लिए कोई भी सुरक्षा उपकरण नहीं था। जिस प्रकार बीच सड़क पर गाय को पकडऩे के लिए झूमा झटकी हो रही थी। ऐसे में झटके से रोड के डिवाइडर या किसी दूसरी चीज सभी टकराने का खतरा है। जिससे सर पर चोट लगने की भी संभावना है। जो काफी गंभीर हो सकती है। बीते दिनों गोवंश को पकडऩे के चक्कर में एक कर्मचारी को काफी यादा चोटे देखने को मिली। उसे कुछ टांके भी लगे हैं। लेकिन नौकरी चले जाने के डर से उसने हमे यह बात केवल अपने तक सिमित रखने को कहा और हमने भी उस गरीब कर्मचारी की बातों का मान रखा, और उसका नाम गुप्त रखा है। मगर ऐसा दोबारा ना हो इसके लिए प्रशासन और आम जन तक आवाज उठानी जरूरी थी। हमारी संवेदनाएं पीडि़त परिवार के साथ हमेशा है। इस बारे में हमारे संवाददाता ने नगर निगम के नवनियुक्त कमिश्नर आशुतोष पांडे से भी चर्चा की।

उन्होने बताया कि अभी सड़कों पर घूम रहे गोवंश के लिए एक गौ सेवा समिति को देखभाल के लिए कहा गया है। उनके लिए चारे की व्यवस्था की जा रही है और शेड का भी निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही शहरी क्षेत्र में उच स्तरीय गौठान के लिए जगह चिन्हित की जा रही है। जहां चारागाह की भी व्यवस्था होगी। इसके बाद इन पशुओं को पकडऩे जा रहे कर्मचारियों की सुरक्षा और चोट लगने की स्थिति पर पर हमने सवाल किया तो उन्होंने बताया कि निगम के कर्मचारियों अधिकारियों का सुरक्षा और स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाएगा। उनके लिए इंश्योरेंस की व्यवस्था है। गोवंश को पकडऩे जाने वाले सभी एक्सपर्ट लोग हैं और इसके लिए प्रशिक्षित भी हैं।

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