बाघ तालाब की दुर्दशा देखकर रूष्ट हुए जिलाधीश, निगम आयुक्त को दिए सौंदर्यीकरण के निर्देश
शहर के अन्य तालाबों की भी दशा सुधरने की जगी उम्मीद
रायगढ़। शनिवार सुबह शहर के वार्डों का जायजा लेने पहुंचे कलेक्टर भीम सिंह और निगम आयुक्त आशुतोष पाण्डेय बाघ तालाब की दुर्दशा देखकर नाराज हुए। मौके पर जब उन्हें यह बताया गया कि 23 एकड़ के इस तालाब में एक समय यह क्लब था और आसपास के लोग यहां का पानी पीते थे यह सुनकर कलेक्टर बिफर पड़े और वहीं कहा कि यह शहर का सबसे बड़ा तालाब है और इसकी ऐसी दुर्गति हो रही है। अब फिर से तालाब का गौरव लौटेगा इसके लिए योजना तैयार करने के लिए निगम आयुक्त को कहा।
विदित हो कि 130 साल से अधिक करीब पुराने 23 एकड़ का बाघ तालाब चंद एकड़ में सिमटता जा रहा है। तालाब को जानबूझकर सुखाया जा रहा है। इसके पानी को पाइप और नाली के द्वारा नदी और नालों से निकाला जा रहा है। दो दशक से भी यह कार्य किया जा रहा है जिससे तालाब का रकबा कम हो। तालाब के करीब 60 फीसदी हिस्से में लोगों ने घर बना लिये हैं। तालाब के आसपास निर्माण को लेकर नगर निगम और उसके मालिक के बीच में हाई कोर्ट में 2004 से मामला अभी तक चल रहा है। जिस तालाब में किसी भी प्रकार के निर्माण पर स्टे लगा हुआ है फिर भी बीते 15 साल में तालाब में कब्जा लगातार हुआ।
तालाब के पूर्वी छोर पर करीब 2.5 एकड़ में बाघ बगीची यानि बगीचा था लेकिन उसकी आड़ में 15 से अधिक एकड़ में तालाब पर कब्जा हो गया है। तालाब के पश्चिम छोर में राजा के भाई के जमीन थी लेकिन किनारे की जमीनों से शुरू हुआ अतिक्रमण का दायरा तालाब के बीचों बीच तक आ गया है। इन कब्जे वाले घरों में बाकायदा जल नल और बिजली कनेक्शन हैं। सवाल यह उठता है कि जब तालाब के स्वरुप को लेकर विवाद नहीं तो प्रशासन ने तालाब को बचाने के उपाय क्यों नहीं किये। उल्टा निगम ने तो रायगढ़ के 22 तालाबों की सूची से बाघ तालाब का नाम तक गायब कर दिया था।