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सेन समाज के चार बेटियों ने अपनी मां को दिया कंधा, पेश की मिसाल

दुर्ग। पाटन विकासखंड के समीपस्थ ग्राम फेकारी में सेन समाज की चार बेटियो ने अपनी दिवंगता माता का अंतिम का संस्कार किया तथा, शुक्रवार को गीता बाई सेन पति पिरीत राम सेन का निधन हो गया। उनका पुत्र नहीं है। चार बेटियां है। पाँचो बेटी मंजू सेन, देवकुमारी, माधुरी सेन,पार्वती सेन कौशिल्या सेन ने अपनी मां की अर्थी को कंधा दिया। बड़ी बेटी मंजू सेन ने चिता को मुखाग्नि दी। जब चारो बेटियां अपने कंधे पर माता की आर्थी लेकर निकली तो वहां मौजूद सभी की आखें नम हो गई। बहुत कमजोर परिस्थति में जीवन यापन करने वाली गीता बाई के निधन पर अंतिम संस्कार में सर्व नाई सेन समाज के प्रांतीय अध्यक्ष विनोद सेन शामिल हुए। उन्होंने 1100 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान कर शोक संतप्त परिवार को ढांढस बंधाया। गांव के गणमान्य पूर्व सरपंच पुरेन्द चंद्राकर, खिलेंद्र चंद्रकर, रेवा राम मंडावी, टिकेश्वर साहु, धिराजी यादव भूपेन्द्र सेन अंतिम संस्कार में विशेष रूप से उपस्थित होकर शोकाकुल परिवार को सबल प्रदान किया। सभी ने बेटियों के इस कार्य की सराहना की। समाज के प्रांताध्यक्ष विनोद सेन ने कहा कि सेन समाज ऐसी बेटियों को सम्मान करता है। सेन समाज बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं करता। अब यह सोच बदलने लगी है। पाचो बेटियों ने अपना फर्ज निभाया।आज के परिस्थितियों के अनुसार सोशल डिस्टेंस व सरकार के गाइडलाइन का विशेष ध्यान रखते हुए अंतिम क्रियाकर्म पूरा किया गया।

पीतांबरी की जगह, आर्थिक सहयोग पर जोर
सेन समाज किसी के निधन होने पर पार्थिव काया पर पीतांबरी ओढ़ाने की जगह आर्थिक सहयोग पर जोर दे रहा है। पीतंबारी ओढ़ाने की जगह यथाशक्ति नगद राशि सहयोग करने से शोक संतप्त परिवार को बड़ा सहयोग मिलता है। पीतांबरी परिवार के लोग ओढ़ा दिए यह बहुत है। कोई आर्थिक सहयोग करने के साथ पीतांबरी ओढ़ाना चाहे तो कई रोक नहीं है पर समाज का फोकस परिवार को आर्थिक सहायता देकर संबल प्रदान करना है। विनोद सेन ने कहा कि धीरे-धीरे लोग जागरूक हो रहे हैं। क्योंकि दुख के समय आर्थिक सहयोग बहुत मायने रखता है। उन्होंने समाज के लोगों से आग्रह किया है कि वे शोक के अवसर पर पीतांबरी की जगह परिवार को यथासंभव सहयोग राशि प्रदान करें।

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