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छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन ने केन्द्र सरकार मंहगाई भत्ते पर रोक को दमनकारी निर्णय बताया


बिलासपुर—:छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन ने केन्द्र सरकार द्वारा जुलाई 21 तक मंहगाई भत्ते पर रोक लगाने के निर्णय को कर्मचारी विरोधी मानसिकता का एक और दमनकारी निर्णय बताया है। उल्लेखनीय है कि कर्मचारी विरोधी इसी मानसिकता के चलते वर्ष 2004 में प्रचलित परिवार पेंशन योजना को समाप्त कर नवीन पेंशन योजना लागू किया गया था।
फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी एवं पेंड्रा-गौरेला जिला अध्यक्ष आलोक शुक्ला का कहना है कि कोरोना संक्रमण के रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए शासकीय सेवक अपनी जान की बाजी लगाकर दिन-रात काम कर रहे हैं।ऐसे वक्त में जनवरी 2021 तक मंहगाई भत्ता पर रोक लगाने का निर्णय शासकीय सेवकों को हतोत्साहित करने वाला है।
उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार के इस कर्मचारी विरोधी निर्णय से छत्तीसगढ़ राज्य के शासकीय सेवकों का हित भी प्रभावित होगा।केंद्र सरकार के निर्णय के कारण मंहगाई भत्ता किश्त क्रमशः जुलाई 20,जनवरी 21 तथा जुलाई 21 स्वीकृत नहीं होगा। साथ ही जनवरी 20 को स्वीकृत हुए महंगाई भत्ता के एरियर्स के भुगतान पर भी रोक लगाई गई है।
उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को जुलाई 2019 एवं जनवरी 20 के मंहगाई भत्ता किश्त का भुगतान नहीं हुआ है।प्रदेश के कर्मचारी अब ढाई वर्षों के मंहगाई भत्ता लाभ से वंचित हो सकते हैं। उल्लेखनीय है कि,शासकीय सेवकों ने राष्ट्रहित में स्वेच्छा से प्रधानमंत्री राहत कोष एवं मुख्यमंत्री सहायता कोष में न केवल दान दिया है,अपितु,अपने घर-परिवार की चिंता को छोड़कर कोरोना संक्रमण से जनजीवन को बचाने संघर्ष भी कर रहे हैं।उन्होंने बताया कि पुलिस विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी-अधिकारी नित नए परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। अत्यावश्यक सेवा से जुड़कर शिक्षक भी छात्रहित में काम कर रहे हैं। कोरोना संकट के इस घड़ी में शासन के अनेक विभाग के शासकीय कर्मचारी एवं अधिकारियों की स्थिति अभिमन्यु जैसे हो गई है। जहाँ एक तरफ वो जिनकी सेवा कर रहे हैं,वे घेरकर शारीरिक चोट पहुँचा रहे हैं।वहीं,दूसरी तरफ, सरकार सुरक्षा और प्रोत्साहन देने के बजाय आर्थिक चोट पहुँचा रही है।
फेडरेशन का मानना है कि कोरोना संक्रमण काल में शासकीय सेवक देशहित में जूझ रहे हैं। ऐसे वक्त में उनके वेतन का भाग महंगाई भत्ता पर रोक लगाना असंवेदनशील और अमानवीय निर्णय है।सरकार को मौजूदा परिस्थितियों में,अपने निर्णय पर,दूरदर्शिता के साथ पुनर्विचार करना होगा। फेडरेशन का कहना है कि हर जोर जुल्म के टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है।

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