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जनपद: जौनपुर में आयोजन हुआ एक अनोखी तेरहवीं जो बनी लोगों के लिए मिशाल

विशाल मिश्रा,
आपकी आवाज, जौनपुर

जौनपुर-
भारत रीति-रिवाज़ों का देश है, यहाँ तरह-तरह के रिवाज़ देखने को मिलते हैं। इसी तरह भारत में हिंदू जातियाँ अपने प्रियजन के मरणोपरांत 13वें दिन मृतक की याद में एक भोज कराते हैं, जिसे ” तेरहवीं ” कहते हैं। जिसमें मृतक के परिवार जो सक्षम् हो या ना हो फिर भी सभी रिश्तेदारों, ब्राह्मणों, पड़ोसियों और खासजनों को आमंत्रित कर भोज कराना पड़ता है। कोरोना के चलते भारत के सभी प्रकार के त्योहारों व रिवाज़ों को बदलना पड़ रहा है। भीड़ न लगाने की सरकार ने लोगों को नशीहत दी है। ऐसे में लोग रिवाज़ों को भूलकर बस जान बचा रहे हैं परन्तु जनपद के जलालपुर क्षेत्र के रमेश मौर्या ने अपने माताजी के देहावसान उपरांत तेरहवीं का रिवाज़ लाॅकडाउन का पालन करते हुए इस तरीके से पूरा किया है कि हिन्दूओं के लिए एक मिशाल बना दिए।

जानते हैं विस्तार से–

22 अप्रैल, 2020 को जलालपुर के प्रधानपुर निवासी विजय मौर्या जी की धर्मपत्नी स्व० फूलदेई देवी जी का देहावसान हो गया , इनके पुत्र रमेश मौर्या और पौत्र अंकित मौर्या ने अंतिम संस्कार विधि विधान से किया , बात आई तेरहवीं की जिसमें लोगों को भोज कराना पड़ता है तो उसमें लाॅकडाउन के चलते यह करा पाना सम्भव नहीं था। परन्तु अंकित मौर्या ने यह ठान लिया कि दादी की तेरहवीं लाॅकडाउन में शशर्तों के साथ करूँगा लेकिन करूँगा ज़रूर । दोस्तों और परिवार के सहयोग से रमेश जी व अंकित जी ने खाना बनवाया और पैक करवाया , कुछ दोस्तों को लिया, ग्लब्स और मास्क पहने, कार में भरकर खाद्य सामाग्री पहुँच गए जरूरतमंदों के बीच और निःस्वार्थ भाव से गरीबों व असहायों को भोजन करावाया और कई असहाय परिवार को कुछ दिनों का राशन भी मुहैया करवाया। इस तरह उनका रिवाज़ भी पूरा हो गया और माँ स्व० फूलदेई देवी भी बच्चों के इस कृत से तृप्त हो गईं।

मित्रता ने दिया साथ– अंकित मौर्या जी के मित्र सुधांशु सिंह , संदीप यादव सिंटू , मिथिलेश सरोज , शिवम सरोज ,अजय नागर , रोशन सरोज , रोहित यादव , विशाल मिश्रा कार्यक्रम के दरमियान साथ रहे। खाद्य सामाग्री बँटवाने और सामाजिक दूरी बनवाने में रही दोस्तों की अहम् भूमिका।

“कहते हैं ना आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है , यह रिवाज़ लॉकडाउन के चलते बदला ज़रूर लेकिन एक अच्छी पहल के साथ। किसी के मरने के बाद जो हम खिलाने के नाम पर लाखों खर्च करते हैं उससे लाख गुना अच्छा गरीबों, असहायों को पेट भर कर खिलाने में है, उससे पुण्य भी मिलेगा और मन को शांति भी।”

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