मीडिया और वकालत के पेशे से सदा के लिए दूर हो जाएंगे वैष्णव दम्पत्ति
एसपी संतोष सिंह ने जनसंपर्क संचालनालय और बार कौंसिल से किया पत्राचार
आरोपियों पर कानूनी धाराएं बढ़ाने की तैयारी
रायगढ़। एक शासकीय कर्मचारी को धमकाकर उससे लाखों रुपए वसूलने के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार खरसिया के वैष्णव दंपत्ति के अपराधों को फेहरिस्त देखने के बाद पुलिस कप्तान संतोष सिंह ने इनके चेहरे से पत्रकारिता और वकालत का चोला हमेशा के लिए उतारने की तैयारी कर ली है। एसपी ने इस संबंध में सभी कानूनी प्रकरणों की सूची के साथ जनसंपर्क संचालनालय और बार कौंसिल को अलग-अलग पत्र लिखकर भूपेन्द्र व आरती वैष्णव को भविष्य के लिए मीडिया और वकालत दोनों पेशों के लिए अधिकृत न करने का अनुरोध किया है। जिले के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब किसी पुलिस अधिकारी के द्वारा फर्जी व ब्लैकमेलर सरीखे पत्रकारों पर इतने व्यापक स्तर पर कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की गई है। एसपी संतोष सिंह की माने तो न केवल वैष्णव दंपत्ति बल्कि जिले भर के ऐसे दर्जनों नाम उनके पास सूचीबद्ध है जो मीडिया की आड़ में वर्षो से लोगों का भयादोहर करते आ रहे है। इनमें से कुछ सजायाफ्ता तो कुछ विचाराधीन भी है जिनके अपराधिक रिकार्ड थानों से तलब कर एसपी ने उन्हें व्यक्तिगत तौर पर समझाईश भी दी है। वहीं खरसिया के फर्जी पत्रकार और ब्लैकमेलर भूपेन्द्र व आरती वैष्णव दर्ज मामलों में से कुछ प्रकरणों के जबाव में एसपी संतोष सिंह ने भूपेन्द्र के जिलाबदर करने के अनुमति के लिए डीएम न्यायालय में रिकार्ड सुपुर्द किए हैं। वहीं आरती वैष्णव के द्वारा पुलिस में दर्ज शिकायतों की बारीकी से जांच की जा रही है।
बेवजह घसीटा गया मंत्री का नाम
खरसिया के कुख्यात वसूलीबाज भूपेन्द्र व आरती वैष्णव के उपर जबरन वसूली और भयादोहन का मामला दर्ज होने के बाद आरोपी दंपत्ति की ओर से नेताओं के हवाले से पुलिसिया कार्रवाई को फर्जी व मंत्री की सह पर होने संबंधी खबरे सोशल मीडिया पर फैलाई गई। यहां तक कि वकीलों को पक्ष में करते हुए कार्रवाई के विरुद्ध ज्ञापन भी दिलाया गया। पुलिस पर लगे इन तमाम आरोपों को खारिज करते हुए पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने कहा कि भूपेन्द्र वैष्णव का आपराधिक रिकार्ड करीब डेढ़ दशक पुराना है और इन 15 वार्डो से 15 गंभीर प्रकरण दर्ज कराए गए है। जिनमें डकैती से लेकर वसूली तक के अपराध शामिल है। जबकि इस पूरे समयावधि में राज्य में विपक्ष की सत्ता थी। ऐसे में मंत्री का नाम केवल छवि खराब करने के लिए लिया जा रहा है। पुलिस कप्तान ने यह भी कहा कि आरोपी दंपत्ति की गिरफ्तारी अपराध दर्ज होने के एक सप्ताह बाद की गई है और इस बीच आरोपी को बचाव का पूरा अवसर देते हुए पुलिस ने प्रभावित साक्षय जुटाए साथ ही आरोपियों का बयान थाने में न होकर मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया गया। बकौल पुलिस अधीक्षक उन्होंने आरोपियों के निशानदेही पर उन सभी मीडिया हाउस से भी बात की जिसका नाम लेकर आरोपी पत्रकार वर्ग में शामिल हो मीडिया को बदनाम करने में लगे थे। सभी ने एक स्वर में दंपत्ति को अपनी प्रतिनिधि मानने से इंकार कर दिया। वहीं पुलिस की जांच में आरोपियों के पास रखे वाहन पर इलेक्ट्रानिक न्यूज चैनल का बोर्ड भी लगा मिला है जो इनके फर्जी पत्रकार होने की पुष्टि करता है। पूरे केस को स्टडी करने के बाद एसपी संतोष सिंह ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की शुचिता व विश्वास बनाए रखने के लिए जनसंपर्क संचालनालय पत्र भेजकर वैष्णव दंपत्ति को किसी भी प्रिंट, इलेक्ट्रानिक व सोशल मीडिया में भविष्य में कभी संलग्न न करने का अनुरोध किया है। ऐसा ही एक पत्र एसपी ने बार कौंसिल को भी भेजा है जिसमें आरोपी का वकालत का लाइसेंस यह बताते हुए निरस्त करने का निवेदन किया है कि ऐसे अपराध्यी तत्व लोकतंत्र की शीर्ष स्तंभ के विश्वास, छवि व गरिमा को प्रभावित करने से कभी बाज नहीं आएंगे। ज्ञात हो कि आरोपीगणों की ओर से बीते सप्ताह न्यायालय में लगाई गई जमानत याचिका भी पुलिस डायरी देखने के बाद खारिज की जा चुकी है।
पत्राचार किया गया : एसपी
भूपेन्द्र व आरती वैष्णव के द्वारा पुलिस की कार्रवाई को दुर्भानावश व राजनैतिक विद्वेश से जोड़कर दुष्प्रचार किया जा रहा था। आरोपियों के अपराधिक रिकार्ड देखने के बाद जनसंपर्क संचालनालय व बार कौंसिल में पत्राचार कर इनके कारनामों से अवगत कराते हुए भविष्य में इन्हें कभी भी किसी प्रकार के मीडिया व वकालत के पेशे में जुड़ने की अनुमति नहीं प्रदान करने का अनुरोध किया गया है।
संतोष कुमार सिंह
पुलिस अधीक्षक, रायगढ़