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लाल गैंग… नई करवट,नए इलाके! आखिर नक्सलियों ने पत्रकारों के सीने पर बंदूकें क्यों तानी?

रायपुर: इन दिनों बस्तर में पत्रकारों के खिलाफ जारी नक्सलियों के फरमान पर घमासान मचा हुआ है। कुछ पत्रकारों को पूंजीवाद और सरकार का हिमायती बताते हुए धमकाने वाली विज्ञप्ति पर पत्रकारों के साथ-साथ, प्रशासन और समाज ने कड़ा विरोध किया, जिसके बाद नक्सली वार्ता का प्रस्ताव दे रहे हैं। इसके अलावा धमतरी में, राजनांदगांव में मुखबिर बताकर ग्रामीणों की हत्या कर नक्सली अपनी मौजूदगी जता रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर नक्सलियों ने पत्रकारों के सीने पर बंदूकें क्यों तानी? क्या नक्सली बौखलाकर ऐसा कर रहे हैं? क्या उनके खौफ के विस्तार की राह में अब पत्रकार रोड़ा हैं?
बस्तर के जंगलों में, मुश्किल मुठभेड़ों में, कठिन हालात में और विपरीत परिस्थितियों में भी देश दुनिया को अंदरूनी और मुश्किल इलाकों की खबरें लाकर देने वाले पत्रकार सुरक्षित नहीं है। नक्सलियों के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो ने विज्ञप्ति जारी कर कुछ पत्रकारों को पूंजीपतियों और सरकार का हिमायती बताते हुए खुली धमकी दी है। नक्सलियों के ये पर्चे इन दिनों दहशत का सबब हैं क्योंकि जंगल में छिपे नक्सली कब किसे,कहां निशाना बना दें कुछ कहा नहीं जा सकता। यही बात पत्रकारों और प्रशासन की चिंता का विषय है। इससे पहले भी नक्सलियों ने बेरहमी से पत्रकारों की हत्या की है, तोंगपाल के नेमीचंद जैन और साईं रेड्डी इसका उदाहरण हैं। दोनों वरिष्ठ पत्रकारों की नक्सलियों ने गला रेत कर बेरहमी से हत्या की गई थी, फिर बाद में नक्सलियों की तरफ से माफीनाम भेजा गया था। अभी भी नक्सलियों की धमकी से नाराज पत्रकारों के तेवर देख नक्सलियों ने वार्ता का प्रस्ताव दिया है। जबकि पत्रकारों ने दो टूक सवाल उठाया कि आखिर नक्सली किस बिनाह पर पत्रकारों को दलाल और पूंजी पतियों का हिमायती बता रहे हैं।
इधर,विपक्ष का कहना है मामला बेहद गंभीर है, पहली बार है कि नक्सलियों ने पत्रकारों को धमकी दी हो। भाजपा ने आरोप लगाया  कि इसके पीछे सोची समझी रणनीति दिखती है। सरकार को इस पर ब्रेक लगाना चाहिए। वहीं प्रदेश के गृहमंत्री ने कहा कि मामला में सरकार गंभीर है। बौखलाए नक्सलियों पर लगाम कसने लगातार एक्शन लिया जा रहा है।
नक्सलियों की दक्षिण सब जोनल ब्यूरो का प्रेस नोट जारी कर, बीजापुर जिले के पत्रकारों गणेश मिश्रा, लीलाधर राठी, फारुख अली, पी विजय ,बीबीसी के पूर्व पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी को धमकी देना, फिर बाद में वार्ता का प्रस्ताव देना। दूसरी तरफ मुखबिरी का आरोप लगाकर धमतरी में एक ग्रामीण और राजनांदगांव में एक सरपंच पति की हत्या करना। साफ दर्शाता है कि नक्सली काफी बौखलाए हुए हैं और अपने खौफ के प्रसार लिए कायराना हरकतें कर रहे हैं। चिंता इस बात की है इस सनक से लोगों को कैसे सुरक्षित रखा जाए।

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