छत्तीसगढ़

लागत तो दूर, महंगाई की भी भरपाई नहीं करता यह समर्थन मूल्य-किसान सभा

० भाजपा सरकार कर रही किसानों से धोखाधड़ी, मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा आया सामने
रायपुर। छग किसान सभा ने मोदी सरकार पर किसानों के साथ कोरोना संकट में भी धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के मामले में इस वर्ष भी अपना किसान विरोधी चेहरा दिखा दिया। खरीफ फसलों के लिए विशेषकर छग के संदर्भ में धान की फसल के लिए जो एमएसपी घोषित किया गया है। वह स्वामीनाथन आयोग के सी-2 फार्मूले के अनुसार लागत तो दूर, महंगाई में हुई वृद्धि की भी भरपाई नहीं करती। किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋ षि गुप्ता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि देश के विभिन्न राज्यों ने धान उत्पादन का जो अनुमानित सी-2 लागत बताया है उसका औसत 2310 रूपए प्रति क्विंटल बैठता है और स्वामीनाथन आयोग के अनुसार धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3465 रूपए प्रति क्विंटल होना चाहिए। जबकि केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य 1868 रूपए ही घोषित किया है जो कि स्वामीनाथन आयोग की तुलना में मात्र 54 प्रतिशत ही है। वास्तव में धान उत्पादक किसानों को सी-2 लागत मूल्य से 442 रुपये प्रति क्विंटल और 20 प्रतिशत कम दिया जा रहा है। मोदी सरकार का यह रवैया किसानों को बर्बाद करने वाला है। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने आम जनता और किसान संगठनों से अपील की है कि भाजपा सरकार की किसानों से की जा रही धोखाधड़ी को समझें और इसके खिलाफ साझा आंदोलन विकसित करें। भाजपा की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट संघर्ष ही देश और किसानों को बचा सकने की बात किसान सभा के नेताओं ने कही है।
पिछले साल की तुलना में कम वृद्धि: किसान सभा नेताओं ने कहा कि सोमवार को घोषित समर्थन मूल्य में पिछले वर्ष की तुलना में औसतन 2.36 प्रतिशत की ही वृद्धि की गई है। जबकि पिछले वर्ष यह वृद्धि 3.2 प्रतिशत से ज्यादा थी। महंगाई वृद्धि की खुदरा औसत दर प्रतिशत को गणना में लें तो वास्तव में तो किसानों को पिछले वर्ष घोषित समर्थन मूल्य तक देने से इंकार किया जा रहा है, जो महंगाई के मद्देनजर 1953 बैठता है। धान के वास्तविक सी-2 समर्थन मूल्य से 1597 रूपए और 46 प्रतिशत कम दिए जा रहे हैं।
किसानों के साथ सीधा-सीधा धोखा: किसान सभा ने कहा है कि इसी प्रकार की धोखाधड़ी दलहन और तिलहन फसलों में भी की गई है। पिछले वर्ष की तुलना में फसलों के समर्थन मूल्य में हुई वृद्धि का चार्ट पेश करते हुए किसान सभा ने कहा है कि विभिन्न फसलों के समर्थन मूल्य के लिए यह वृद्धि मात्र 1.8 से लेकर 12.7 प्रतिशत तक ही है और केंद्र सरकार का समर्थन मूल्य में 50 प्रतिशत वृद्धि का दावा किसानों के साथ विशुद्ध धोखेबाजी है।
भारतीय खेती की कमर तोडऩे का प्रयास: किसान सभा नेताओं ने कहा कि कोरोना संकट के समय जब गर्मी के मौसम की खेती-किसानी बर्बाद हो चुकी है और प्राकृतिक आपदा की मार और आजीविका को हुए नुकसान की भरपाई करने से यह सरकार इनकार कर रही है। एमएसपी के मामले में मोदी सरकार का ऐसा कृषि और किसान विरोधी रवैया भारतीय खेती की कमर तोड़ कर रख देगा। किसानविरोधी नीतियों के कारण किसानों की आय में मात्र 0.44 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है और इस दर से किसानों की आय दुगुनी करने में 50 साल लग जाएंगे।

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