अपने और सच्चों की रखते थे पहचान कभी विचलित नहीं हुए -त्रिलोचन लहरे
स्मृति शेष
द्वितीय पुण्यतिथि पर आज
29 अक्टूबर 2020
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कोसीर । बहुत ऐसे कम लोग होते हैं जो सही समय में सही निर्णय ले सके यह गुण किसान पुत्र त्रिलोचन लहरे में देखने को मिला वे चुप रहते थे पर अपने और सच्चों की पहचान रखने के साथ-साथ कभी विचलित नहीं हुए, और जिम्मेदारी के साथ परिवार और समाज में अपना नाम दर्ज किए ।सरल सहज व्यक्तित्व के धनी थे वह हमेशा परोपकारी भाव मन में रखते थे लोगों के सुख दुख में हमेशा आगे रहते थे वे एक सबल और सशक्त किसान रहे इनका जन्म दादा मुन्ना दास जी युवाओं के प्रेरणा स्रोत के घर 1 जनवरी 1963 को हुआ था।
माता का नाम श्रीमती राम भाई और पिता का नाम मुन्ना दास था एक सभ्रांत परिवार में जन्म लिए थे वही कम उम्र में विवाह हो गई और घर की जिम्मेदारी संभाल लिए थे अपने परिवार में मंझला थे और घर में लोग मंझला ही बोलते थे परिवार और समाज में एक अलग पहचान रखते थे समाज में सरल व्यक्तित्व और एक सशक्त किसान के रूप में पहचान रखते थे वह कबीरपंथी रहे और लोगों को सत्य मार्ग का ही हमेशा बोध कराते रहे उनका निधन 29 अक्टूबर 2018 को आकस्मिक निधन हो गया।
वे 56 वर्ष की ही उम्र में पूरा भरा परिवार छोड़ गए उनके निधन से परिवार और समाज को बड़ी क्षति हुई उनके निधन से पूरा गांव स्तब्ध हो गया था लोगों ने दुख व्यक्त कर उनकी कार्यों की प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे। बाबूजी का अचानक निधन से मेरे तो जमीन से पैर ही खिसक गए जैसे तैसे अपने आप को संभाला था उनकी हर बात आज मुझे सबल प्रदान करती है बाबूजी के द्वितीय दिवस पर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
लक्ष्मी नारायण लहरे
युवा साहित्यकार ,पत्रकार
कोसीर सारंगढ़