हेड कांस्टेबल से एएसआई की पदोन्नति सूची विवादो में, बिना योग्यता कराया पीपी कोर्स
रायपुर/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेंज के 33 प्रधान आरक्षकों की पदोन्नति सूची जारी तो कर दी गई मगर 6 ऐसे प्रधान आरक्षक है जिनकों इस प्रमोशन का फायदा नहीं मिल रहा। सबसे बड़ी बात यह है कि विभाग की लापरवाही की वजह से सूची में 1 से 6 तक के प्रधान आरक्षकों जो सीनियर है उसके बाद भी उन्हें पदोन्नति से वंचित रहना पड़ेगा। ऐसे में कुछ प्रधान आरक्षक इस गड़बड़ी को लेकर कोर्ट जानें की तैयारी कर रहे है। वर्दी पर स्टार लगाने का सपना कौन नहीं देखता मगर विभाग की लापरवाही की वजह से 6 ऐसे प्रधान आरक्षक है जो कि सीनियर है बावजूद इसके स्टार लगने का सपना साकार नहीं होगा।
बिलासपुर रेंज के 33 ऐसे प्रधान आरक्षक हैं जिनकी पदोन्नति सूची विवादों में आ गई है। वर्ष 2017 में निमय विरुद्ध बिलासपुर जोन के कुछ प्रधान आरक्षकों को पीपी कोर्स करा दिया गया था। 2017 -18 में इनकी ट्रेनिंग 38 दिनों तक चली तब पुलिस विभाग को अपनी गलती का एहसास हुआ । विभाग ने ट्रेनिंग के बीच से ही इन्हें वापस करने का निर्णय लिया मगर प्रधान आरक्षकों विशेष आग्रह पर और ट्रेनिंग के रिजल्ट नहीं मांग करने की शर्तो पर उन्हें कोर्स करा दिया गया । मगर इस बीच बीते गुरुवार को अचानक पदोन्नति के रुके हुए रिजल्ट मंगा कर प्रमोशन का लाभ दे दिया गया। एसओपी नियम 24/2 के अनुसार योग्यता सूचि जारी होने के बाद पीपी कोर्स करना होता है। पुलिस विभाग ने बगैर योग्यता सूचि के ही पीपी कोर्स करा कर प्रमोशन का लाभ दे दिया। अब वरिष्ठता सूचि में आगे पायदान पर रहनें वालों को इसका फायदा मिलना तो दुर सीनियर जूनियर बन गए है।
ज्ञात होकि पुलिस विभाग द्वारा 2009 से 2013 के बीच और भी प्रमोशन दिय गया। तब प्रमोशन देते हुए एक वर्ष के भीतर पीपी कोर्स करानें का शर्त रखा गया था। अब जो प्रमोशन सूचि जारी किया गया है। उसमें क्रमांक 7 से 23 तक के प्रधान आरक्षकों को इसका लाभ मिलेगा। एक से 6 तक के सीनियर प्रधान आरक्षकों के कंधे पर स्टार नहीं लग पाएगा। नियमों पर गौर करें तो जो भी पीपी कोर्स में पास होगा उसे ही प्रमोशन का लाभ दिया जाता है। जानकारी के अनुसार अन्य जिलों के पुलिस अफसरों ने अधिकारियों को पत्र लिख कर अनुमति की मांग की है। 2017 -18 में प्रधान आरक्षक पास हो गए थे मगर उन्हें पीपी कोर्स नहीं कराया गया। अब जबकि लॉकडाउन है तो सभी कोर्स पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इन परिस्थितियों में विभाग अपने ही कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं कर पा रहा है। अब जिन प्रधान आरक्षकों के कंधे पर स्टार नहीं लग पाया है वह इस पदोन्नति सूची के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी में है।