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यूपी सरकार द्वारा राज्य के लोगों को वापस बुलाने के फैसले पर जताया ऐतराज

सियासी मोर्चे पर घिरे नीतीश ने की शाह से बात
लॉकडाउन के दौरान योगी सरकार के फैसले से अपने ही घर में घिरे नीतीश
विपक्षी दल लगा रहे हैं प्रवासियों की उपेक्षा का आरोप

नई दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान अपने राज्यों को दूसरे राज्यों से वापस लाने संबंधी यूपी सरकार के फैसले ने बिहार केसीएम नीतीश कुमार को सियासी मोर्चे पर बुरी तरह उलझा दिया है। राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव है और विपक्षी दल नीतीश पर प्रवासी बिहारियों के प्रति उपेक्षा बरतने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच नीतीश ने गृह मंत्री अमित शाह से बात कर यूपी सरकार के फैसले पर एतराज जताया है। उनकी पीएम मोदी से भी बात करने की चर्चा है मगर इसकी पुष्टिï नहीं हो पाई।

जदयू महासचिव केसी त्यागी ने स्वीकार किया कि कोटा से यूपी के छात्रों को वापस बुलाने के बाद बिहार के सीएम ने गृह मंत्री अमित शाह से बात की है। उन्होंने कहा कि नीतीश ने गृह मंत्री से बातचीत कर अपना एतराज जताया है। उन्होंने पीएम से भी बात की होगी, मगर मुझे इसकी जानकारी नहीं है। त्यागी ने कहा कि यूपी सरकार के फैसले के कारण बिहार सरकार के सामने धर्मसंकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। विरोधी दलों को चुनावी साल में हम पर हमला करने का मौका मिल गया है। गौरतलब है कि नीतीश ने सार्वजनिक तौर पर कोटा से यूपी के छात्रों को बुलाने के फैसले की आलोचना करते हुए इसे लॉकडाउन का खुला उल्लंघन करार दिया है। नीतीश ने यह भी कहा कि जब संपन्न घरों को बच्चों को वापस लाया जा सकता है तो गरीब मजदूरों के प्रति बेरुखी क्यों की जा रही है।

जदयू सूत्रों ने बताया कि जब बीते 23 मार्च को योगी सरकार ने दिल्ली से प्रवासी मजदूरों को बस से वापस बुलाया था तब भी नीतीश ने केंद्र सरकार के समक्ष नाराजगी जताई थी। नीतीश का कहना था कि इस फैसले ने उन पर अपने राज्यों के प्रवासी मजदूरों को भी वापस लाने का दबाव बना दिया है। तब केंद्र सरकार में शीर्ष स्तर पर पूरे मामले में हस्तक्षेप किया गया। अब कोटा से छात्रोंं को वापस लाने के नए सिरे से टकराव की स्थिति बनी है। नीतीश ने शाह के समक्ष यूपी सरकार के फैसले पर कड़ा एतराज जताया है। नीतीश का कहना था कि इस समय पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में बिहार के नौ लाख प्रवासी मजदूर हैं। फसल कटाई का मौसम होने के कारण पंजाब और हरियाणा सरकार उनसे अपने मजदूरों को वापस नहीं बुलाने का अनुरोध कर रहे हैं। जबकि मजदूर वापस आना चाह रहे हैं। ऐसी स्थिति में यूपी सरकार के फैसले से उनके लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो गई है।

क्यों चिंता में हैं नीतीश
दरअसल बिहार में इसी साल अक्टूबर महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले विपक्षी दलों ने लॉकडाउन में फंस बिहारी मजदूरोंं के मामले को मुद्दा बना लिया है। चूंकि पड़ोसी राज्य यूपी अपने मजदूरों-छात्रों को वापस बुलाना शुरू किया है, इसलिए विपक्षी दल सवाल पूछ रहे हैं कि ऐसा ही कदम नीतीश क्यों नहीं उठा रहे।

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