छत्तीसगढ़

प्रधानमंत्री के आदर्श ग्रामों में नहीं हो रहा काम, प्रदेश के अन्य जिलों ने नहीं भेजी प्रशासकीय स्वीकृति

महामसुंद,  जिले में अनुसूचित जाति यानी एएसी की 50 प्रतिशत आबादी वाले 16 गांव के ग्रामीण पिछले एक वर्ष से मूलभूत सुविधा मिलने का इंतजार कर रही है। ये वे गांव है, जिन्हें प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत उसका उन्नयन किया जाना था। इन गांवों का सर्वे हो चुका है, लेकिन अभी तक गांवों में मूलभूत की सुविधा प्रशासन ने उपलब्ध नहीं करा पाई है। सर्वे का कार्य आदिवासी विकास विभाग को दिया गया है। बताया जा रहा है कि गांवों की सर्वे की रिपोर्ट व प्रशासकीय स्वीकृति जिले की ओर से चली गई है, लेकिन अन्य जिलों से गांवों की सूची नहीं आने के कारण राज्य सरकार के पास मामला अटका हुआ है।

इन गांवों को इस योजना के तहत कब सुविधा मिलेगी, इसका पता विभाग के अफसरों को भी नहीं है। इस संबंध में आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त एनआर देवांगन ने बताया कि यह योजना केंद्र सरकार की है। जिले से सर्वे कर गांवों की सूची भेजी जा चुकी है, लेकिन अन्य जिलों से सूची नहीं आने के कारण मामला अटका हुआ है। जैसे ही स्वीकृति मिलेगी, गांवों में रूपये खर्च कर ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा का लाभ दिया जाएगा। ज्ञात हो कि इस योजना के तहत चयनित अनुसूचित बाहुल्य गांवों को आदर्श ग्राम में उन्नयन किया जाएगा। योजना की अवधि तीन वर्ष के लिए है। प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना में 45 करोड़ रुपए का प्रावधान है। जिसमें प्रति गांव के मान से केन्द्र सरकार द्वारा 25 लाख तथा राज्य सरकार द्वारा राज्यांश के रूप में 20 लाख की राशि का प्रावधान है।

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