
आंखों के सामने मां-बाप ने तोड़ा दम, 12 साल बच्ची के सिर से उठा साया
रायपुर। शादी में शामिल होने के लिए मुस्कराते हुए घर से निकली थी अन्नाू। कौन जानता था कि बेटी की जिंदगी के लिए सपने संजोए मां-बाप उसकी आंखों के सामने दम तोड़ देंगे। सड़क हादसे में मां-बाप की मौत का मंजर देखकर बच्ची बेसुध हो गई थी। अभी भी वह कुछ बोलती नहीं। बस आंसू बहा रही है।
दुर्घटना के बाद मुहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ है। इस बीच मृत आजूराम देवांगन (38) व उनकी पत्नी निर्मला देवांगन का अंतिम संस्कार करके लौटते स्वजनों को यह चिंता सता रही थी कि अब अन्नू (12) का क्या होगा? मृतक की भाभी सुशीला ने बताया कि नौ दिसंबर को दोपहर 1:30 बजे आजूराम परिवार सहित जंजगीरी शादी में शामिल होने के लिए मोपेड से निकले थे। अन्नू भी बहुत खूश थी।
शादी में शामिल होने के बाद जब रात को लौटने को लेकर आजूराम व निर्मला से बात हुई तो समझाया था कि सुबह आ जाएं। रात में आना ठीक नहीं, लेकिन सुबह सब्जी की दुकान लगानी थी, इसलिए तीनों मोपेड से निकल पड़े। रात में एक बजे सूचना मिली कि कुम्हारी के निर्माणाधीन ब्रिज में दुर्घटना से उनकी मौत हो गई। हमें अन्नाू की चिंता हुई। उसे भिलाई के अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद एम्स रेफर किया गया। इलाज के बाद उसे दोपहर एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया।
कुछ बोल नहीं पा रही सिर्फ निकल रहे आंसू
माता-पिता की मौत के सदमे की वजह से अन्नाू कुछ बोल नहीं पा रही है। उसकी आंखों से सिर्फ आंसू निकल रहे हैं। माता-पिता के अंतिम दर्शन के दौरान निकली उसकी चीख श्ाायद प्रशासन के कानों में न पहुंची हो, लेकिन जिसने भी वह दारुण्ा दृश्य देखा, उसने प्रश्ाासनिक लापरवाही को जमकर कोसा।
सब्जी की दुकान लगाते थे माता-पिता
अन्नाू के मामा राज, भंगी देवांगन ने बताया कि आजूराम और निर्मला सब्जी की दुकान लगाते थे। इससे ही उनके परिवार का गुजारा होता था। आजूराम की दो बेटियों की श्ाादी हो चुकी है। छोटी बेटी अन्नाू के अलावा बूढ़े मां-बाप की भी जिम्मेदारी आजूराम के सिर पर थी।
मदद के लिए रहते थे हमेशा तैयार
मुहल्ले में पड़ोसियों ने बताया कि आजूराम व निर्मला व्यवहारिक और मिलनसार थे। भले आर्थिक रूप से सक्षम नहीं थे, लेकिन अपनी क्षमता के अनुसार दूसरों की मदद के लिए हमेेशा आगे रहते थे। अन्नाू की जिंदगी अच्छी हो और उसे बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए पति-पत्नी दोनों मेहनत कर रहे थे।