
एसईसीएल बरौद के अनदेखी से गुस्साए ग्रामीणों ने खोला मोर्चा कलेक्ट्रेट पहुंच कर दिया ज्ञापन,मांगें पुरी नहीं होने से पुनः आन्दोलन
एसईसीएल प्रतिनिधि मंडल द्वारा प्रशासनिक अधिकारी नायब तहसीलदार के समक्ष हुआ था लिखित समझौता लेकिन मांगें नहीं हुई पुरी ।
आन्दोलन को मिल रहा है आसपास प्रभावित ग्रामों का समर्थन
घरघोड़ा – ग्राम बरौद के एसईसीएल विस्थापित परिवार तथा पंचायत पदाधिकारी तथा सैकड़ों की संख्या में पहुंचे ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय रायगढ़ एसईसीएल अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक बिलासपुर के नाम सौंपा ज्ञापन विस्थापित परिवारों द्वारा विस्थापन लाभ 03 लाख को बढ़ोत्तरी करने की मांग लम्बे समय से कर रहें थे जिसको लेकर बरौद खुली खदान में ग्रामीणों द्वारा दिनांक 06.07.2023 को खदान बन्दी कर आन्दोलन किया गया था जारी आन्दोलन के बीच तहसीलदार घरघोड़ा के समक्ष एसईसीएल के महाप्रबंधक प्रतिनिधी रायगढ़ के साथ त्रिपक्षीय लिखित समझौता हुआ की विस्थापन लाभ बढ़ोत्तरी 03 लाख से 10 लाख ग्रामीणों का प्रस्ताव एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर अनुमोदन हेतु भेजा जायेगा विस्थापन लाभ 10 लाख बढ़ा कर प्रति परिवार की दर से भुगतान का मुद्दा नितिगत मामला है जिसका अनुमोदन का अधिकार एसईसीएल निदेशक मंडल का है समक्ष अनुमोदनार्थ भेजी जायेगी जिसे यथाशीघ्र पूर्ण कराने का प्रयास किया जाऐगा । इसी सहमति के आधार पर ग्रामीणों द्वारा आन्दोलन को स्थगित किया गया था जिस पर ग्रामीणों द्वारा विशेष ग्राम सभा कर पंचायत प्रस्ताव सहित विस्थापन लाभ बढ़ोत्तरी हेतु एसईसीएल कोरबा जिले के संचालित परियोजना गेवरा क्षेत्र , दिपका क्षेत्र, कुसमुंडा क्षेत्र के आधार पर 10 लाख तथा अतिरिक्त पारितोषिक / प्रोत्साहन राशि 05 लाख का विशेष पंचायत प्रस्ताव पारित कर प्रेषित किया गया था और प्रबंधन को 03-04 महिने का समय दिया गया था जो 05 महिने से भी अधिक हो चुका है लेकिन प्रबंधन द्वारा ग्रामीणों के पक्ष में सकारात्मक निर्णय नही लिया गया है । एसईसीएल प्रबंधन द्वारा अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) तहसील-घरघोड़ा को पत्र क्र. एस.ई.सी.एल./ म.प्र / राय./ भू- राज. / 23 / 279 / दिनांक 31.10.2023 को जानकारी दिया गया है की विस्थापन लाभ बढ़ोत्तरी 03 लाख से बढ़ाकर 10 लाख तथा अतिरिक्त पारितोषिक/प्रोत्साहन बोनस राशि 05 लाख केवल एसईसीएल कोरबा जिले के संचालित 03 परियोजना गेवरा क्षेत्र ,दिपका क्षेत्र , कुसमुंडा क्षेत्र के लिए ही लागू किया गया है तथा प्रबंधन द्वारा पुनः भ्रमित करते हुए कहा गया है की चूंकि यह एक नितिगत मामला है जिस पर एसईसीएल की और खदाने समाहित है उसका विश्लेषण किया जावेगा तत्पश्चात ही निर्णय लिया जाना है ऐसा भ्रमित जवाब प्रबंधन द्वारा दिया गया है जब ऐसा है तो विस्थापन लाभ बसाहट राशि केवल गेवरा क्षेत्र , दिपका क्षेत्र , कुसमुंडा क्षेत्र के लिए ही एसईसीएल निदेशक मंडल बिलासपुर द्वारा क्यों संसोधन किया गया है कोल इंडिया लिमिटेड भारत सरकार का उपक्रम है सदैव भारत सरकार के निति एवं नियम का पालन करता है कोल इंडिया लिमिटेड (एसईसीएल) द्वारा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है अगल अगल दर से बसाहट राशि विस्थापन लाभ भुगतना करना तथा अतिरिक्त पारितोषिक/ प्रोत्साहन बोनस राशि दिया जाना निति विरूद्ध विधि संगत प्रतीत नहीं होता है एक ही उपक्रम मे दो तरह की निति बनाकर हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है बरौद परियोजना का भी विस्थापित परिवारों का विस्थापन लाभ बसाहट राशि 03 लाख को बढ़ाकर 10 लाख तथा अतिरिक्त पारितोषिक/ प्रोत्साहन राशि संसोधन कर लाभ प्रदान किया आक्रोश ग्रामीण ने एसईसीएल बरौद खदान को पूर्ण रुप से मांगें पुरी नहीं पर बरौद के समस्त विस्थापित परिवारों के द्वारा आन्दोलन , खदान बन्दी , आर्थिक नाकेबंदी ,चक्का जाम मांगे पुरी नहीं होते तक दिनांक.15.01.2024 दिन -सोमवार से बरौद खुली खदान के मुख्य गेट पर पुनः हड़ताल को जारी करने की सूचना शासन प्रशासन तथा प्रबंधन को दिया गया है ।
सरपंच रथमिला राठिया ग्राम पंचायत बरौद – आन्दोलन समय सीम में ग्रामीणों के पक्ष मे सकारात्मक निर्णय लिया जावे । एसईसीएल प्रबंधन का किसी प्रकार की लिखित भ्रमित समझौता पत्र स्वीकार नही किया जाऐगा हमेशा ही रायगढ़ मुख्यालय स्तर के अधिकारी ग्रामीणों को बिलासपुर मुख्यालय तथा कोलकाता मुख्यालय की बात बोलकर अपने को बचाते नज़र आतें है । इस बार किसी प्रकार की लिखित भ्रमित समझौता स्वीकार नहीं किया जाऐगा निर्णय मांगें पुर्ण किया की लिखित होनी चाहिए ।
संतोषी राठिया जनपद पंचायत सदस्य क्षेत्र क्रमांक 02- किसी प्रकार की लिखित भ्रमित समझौता पत्र सकारात्मक निर्णय हेतु भेजा जायेगा विचाराधीन है , प्रक्रियाधीन है , प्रयास किया जाऐगा आप की मांग को मुख्यालय भेजेंगे इस प्रकार की समझौता पत्र किसी भी हाल में स्वीकार नहीं की जाएगी तथा प्रधानमंत्री रोड़ को कोयला खनन करने की तैयारी की जा रही उसका हम पुरा विरोध करतें है तथा ग्रामीणों द्वारा कई बार विरोध किया गया है ।