
दिनेश दुबे 9425523689
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*एलॅन्स पब्लिक स्कूल में राष्ट्रीय गणित दिवस पर कार्यक्रम की मची धूम*
बेमेतरा : = एलॅन्स पब्लिक स्कूल बेमेतरा में गणितीय प्रतिभा के धनी श्री निवास रामानुजन की जयंती के अवसर पर विद्यालयीन बाल वैज्ञानिक तथा बाल कलाकारों के द्वारा विविध कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
*इसके पूर्व महान गणितज्ञ श्री रामानुजन की प्रतिमा में माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात कक्षा दसवी की छात्रा खुशी और अदिति ने गणितीय सूत्रों पर सारगर्भित भाषण दिए। श्री रामानुजन जी के जीवन को रूपायित करते हुए नृत्य, प्रश्न मंच-प्रश्नोत्तरी, गणित के विभिन्न आकृतियों (रेखा से वृत की ओर ) को नन्हे बच्चों ने शानदार ढंग से प्रदर्शित किया। मैजिक कलेण्डर , फनी एक्ट, लधु नाटिका, होरीज़ोन जैसे विविध कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारा गया तथा उनमे गणित के प्रति रूचि जगाने का प्रयास किया गया।
*प्राचार्य डॉ सत्यजीत होता ने ’’बच्चों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि गणित हमारे जिंदगी का एक अहम हिस्सा है गणित एक शास्त्र है, गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन कराती है। गणित एक अमूर्त या निराकार और निगमनात्मक प्रणाली है।गणित हमारी सभ्यता एवं संस्कृति का दर्पण है। राष्ट्रीयता एवं अतंर्राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ाने एवं भावना को विकसित करने में गणित की अहम भूमिका होती है। इसके द्वारा नैतिक मूल्यों सच्चाई, ईमानदारी, नेतृत्व, शुद्धता, धर्म, आत्मविश्वास इत्यादि को विकसित किया जा सकता है। गणित व्यक्ति की मानसिक शक्तियों का विकास करती है। जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे ऊपर हैं, वैसे ही वेदांत और शास्त्रों में गणित शास्त्र का स्थान सबसे सर्वोपरि है। गणित के विषय में रूचि को जगाने के लिए छात्रों में प्रश्न पूछने की ललक पैदा करने के लिए गणित के शिक्षकों को प्रोत्साहित किया। गणित का मुख्य उद्देश्य छात्रों को मैथ्स के फोर्मूले व कैलक्युलेशन से अवगत करना है। खेल एवं दैनिक जीवन में उपयोग हेतु प्रयोग कराकर व छात्रों में उत्साह के साथ गणित सीखने का प्रयास करने की जिज्ञासा उत्पन्न करने की सलाह दी। वैसे तो गणित के क्षेत्र में प्राचीन समय में आर्यभट्ट, ब्रम्हगुप्त, लीलावती, श्रीधराचार्य, भाष्कर जैसी महान विभुतियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन श्रीनिवास रामानुजन ने बहुत कम उम्र में एक स्पष्ट प्रतिभा के संकेत दिखाए। उन्होंने फ्रैक्शन , इनफाइनाइट, सीरिज, नंबर थ्योरि, मैथमेटिकल एनालिसिस आदि के बारे में उनके योगदान ने गणित में एक उदाहरण स्थापित किया। इनकी गिनती उन महान वैज्ञानिकों में की जाती है, जिन्होंने विश्व में नवीन ज्ञान को पाने और खोजने की पहल की। उन्हें गणितज्ञो का महारथी भी कहा जाता है। इन्होंने महज 12 वर्ष की उम्र में त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी। और बिना किसी की सहायता के खूद से कई प्रमेय भी विकसित किए। संख्या सिद्धान्त पर किए गए कार्य के कारण उन्हें संख्याओं का जादूगर भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि नमोगिरी माता की देवी की कृपा से रामानुजन को अपनी प्रतिभा प्राप्त हुई थी। एम. जे. एम. एनजे हिल ने उन्हें कोई प्रस्ताव नहीं दिया था लेकिन कैंब्रिज विश्वविद्यालय में रामानुजन से सलाह लेना चाहते थे। उन्हें हमारा शत् शत् नमन।’’
*मंच संचालन कक्षा दसवी की छात्र हिमानी नारवाल ने किया । इस कार्यक्रम को सफल बनाने में टी. श्रीनिवास राव, के. ठाकुर, श्रीमति एस. ठाकुर, उमेश काले, सुयश तिवारी तथा प्रतीक्षा अवस्थी का योगदान सराहनीय रहा।
*उक्त कार्यक्रम में स्कूल प्रबंधन के अध्यक्ष कमलजीत अरोरा , स्कूल डायरेक्टर पुष्कल अरोरा, प्रशासक सुनिल शर्मा, शिक्षक – शिक्षिकाएँ तथा विद्यार्थी उपस्थित थे।


