ऑक्सीजन पर क्यों बरपा है हंगामा…क्या इन ताबड़तोड़ व्यवस्थाओं को करने में देर हुई है?

भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार प्रतिदिन प्रदेश में कोरोना संक्रमण की चिंताजनक होती स्थिति को संभालने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर हर संभव विकल्प की व्यवस्था में जुटे हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण की तेज रफ्तार के आगे हर एक प्रयास छोटा पड़ रहा है। विपक्ष हमलावर है सरकार को हर मोर्चे पर फेल बता रहा है। सरकार में बैठे जिम्मेदार भी अब ये स्वीकार कर चुके हैं कि ऑक्सीजन की आपूर्ति राज्य सरकार के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है। बड़ा सवाल ये कि क्या इन ताबड़तोड़ व्यवस्थाओं को करने में देर हुई है? और आगे के लिए हम कितना तैयार हैं? मध्य प्रदेश में कोरोना एक्टिव मरीजों का आंकड़ा 82 हजार के पार जा चुका है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक अस्पतालों और कोविड सेंटरों के सामान्य बेड पर महज 4,030 मरीज हैं। जबकि इससे 4 गुना ज्यादा 19,172 मरीज ऑक्सीजन बेड पर हैं। इनमें से 6,639 मरीज गंभीर हालत में हैं, जिन्हें ICU में रखा गया है। शहडोल, भोपाल मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कोरोना के हालातों को लेकर हाईलेवल मीटिंग के बाद बताया कि बुधवार को मध्यप्रदेश में 410 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध हुई जबकि इस्तेमाल हुई सिर्फ 400 मीट्रिक टन। मुख्यमंत्री ने ने बताया कि…उद्योगपति नवीन जिंदल से चर्चा हुई है,जिंदल मध्यप्रदेश को ऑक्सीजन देने के लिए सहमत हैं।

• रक्षा मंत्रालय से संबंधित DRDO भी मध्यप्रदेश को ऑक्सीजन देने के लिए राजी है।

• ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने वालों पर प्रशासन राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धाराएं लगाए।

• ऑक्सीजन की कमी की अफवाह फैलाने वालों को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई की जाए।

• कोरोना कर्फ्यू के सकारात्मक रुझान मिल रहे हैं,पॉजिटिव केसेस में स्थिरता है।

• जनता के साथ जनता के सहयोग से कोरोना कर्फ्यू बनाए रखें,इसी से कोरोना संक्रमण की चैन टूटेगी

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