क्या प्रदेश सरकार और छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स पर मुकदमा दायर किया जाए,

छत्तीसगढ़। प्रदेश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर अपने चरम पर है,पहली लहर समाप्त होने के बाद हमारी प्रदेश सरकार भी केंद्र सरकार की ही तरह गहन निद्रा में सो गई थी,बिना ये विचार किये के विदेशो में तीसरी और चौथी लहर ने भी भारी तबाही मचाई है।
वो विदेश की सरकारे थी जिन्होंने पहली लहर से ही बहोत कुछ सिख लिया था,परंतु हमारी केंद्र सरकार एवं प्रदेश सरकार ने आज एक साल बाद भी कुछ नही सिख पाए के इस महामारी से किस तरह लड़ना है,एक साल बाद भी न तो अस्पतालों का प्रबंध है,न ऑक्सिजन है और न वेंटिलेटर।जनता को हर तरह से लूटने के लिए छोड़ दिया गया है, अगर वो संक्रमित हो गया है तो अस्पताल उसे लूट रहे है,सरकारी अस्पतालों में बेड नही है,और निजी अस्पताल में उसका सब कुछ बिक जा रहा है,भले ही सरकार ने निजी अस्पतालों के रेट फिक्स कर दिए है,पर ये केवल जनता को दिखाने के लिए महज एक औपचारिक एलान है,स्वास्थ्य मन्त्रालय चाहे तो निजी अस्पतालों का स्टिंग ऑपरेशन कर के देख ले,सारी पोल खुल जाएगी,इससे संशय होता है के कही निजी अस्पतालों के लूट में क्या स्वास्थ्य मंत्रालय की भी भागीदारी है।क्यों नही स्वास्थ्य मंत्रालय अस्पतालों पर लगाम कस पा रहा है?
अब आइये बात करते है अगर संक्रमण से बच भी गए तो बाजार जनता को लूट रहा है, जिस तरह अल्पावधि के नोटिस पर लॉक डाउन लगा कर बाजार में अफरा तफरी का माहौल बनाया गया,और जिस तरह जनता को मुंहमांगे दाम पर अपनी दैनिक उपयोग की वस्तुओं को खरीदना पड़ा वह सर्वविदित है,सरकार का वही रटारटाया बयान के किसी को भी कालाबाज़ारी करने की इजाज़त नही दी जाएगी भी महज एक औपचारिक बयान है।इस अफरा तफरी में अगर परिवार का एक सदस्य भी बाजार के भीड़ से संक्रमित होकर गया तो लॉक डाउन की अवधि में वो पूरे परिवार को संक्रमित करने में सक्चम है।
सरकारे ये समझने को क्यों नही तैयार है के लॉक डाउन इस महामारी का समाधान नही है,वर्तमान लॉक डाउन में जिस तरह सब्ज़ी,फल फ्रूट,किराने को बंद किया गया,जनता अपनी रोज़मर्रा की चीज़ों के लिए भी तरस गयी है,अब तो केंद्र सरकार भी किसी भी सख्त लॉक डाउन के पक्ष में नही है।व्यापार में पोस्ट डेटेड चेक का प्रचलन आम बात है,आज स्थिति ये है के बैंकों को बंद कर देने से न तो व्यापार का क्लेक्शन आ पा रहा है,परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ के व्यपारियो के पोस्ट डेटेड दिए हुए चेक बाउंस हो रहे है,चूंकि अन्य प्रदेशो में तो बैंक चालू है,इससे छत्तीसगढ़ के व्यपारियो पर लीगल कार्यवाही की तलवार अलग लटक रही है।
निम्न एवं मध्यम वर्ग के पास आने जाने के लिए सायकल या मोपेड ही एकमात्र साधन होते है,अब अगर वो पंचर हो जाये या बिगड़ जाए,ऐसे में किसी विपदा में उसके पास कौन सा साधन रह जाता है,अगर मोबाइल ही बिगड़ जाए तो विपदा में अपने परिजनों से किस तरह संपर्क कर सकता है,क्या सरकार में बैठे मंत्रियों एवं अफसरों को इस बात का ज्ञान है,नही होगा क्यूंकि उनके पास तो सरकार का दिया मुफ्त का पूरा तंत्र है।इसिलए ऊपर का शीर्षक है के क्यों न सरकार पर मुकदमा किया जाए क्यूंकि आज इस महामारी से संक्रमित होने एवं मृत्यु की ज़िम्मेवार स्वास्थ मंत्रालय की है,जिसकी अकर्मण्यता को जनता भुगत रही है।
अब सवाल उठता है कि क्यों न छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स पर मुकदमा किया जाए,अभी अभी ही चेम्बर के चुनाव हुए है,चेम्बर अध्यक्ष एवं उसके सभी निर्वाचित पदाधिकारी में लॉक डाउन में कुम्भ करण की नींद में सोए हुए है,इनका अस्तित्व है या नही ये भी पता नही चल रहा है,न जाने ये पदाधिकारी सरकार से किस दहशत में है,जिलों के कलेक्टर तुगलकी फरमान जारी किए जा रहे है,और ये अपना शीश झुका कर उनके फरमानों को बिना कोई तर्क किये सर आंखों पर रख रहे है,क्या इन्ही दिनों को देखने के लिए हम व्यपारियो ने चेम्बर की बागडोर इन्हें सौंपी थी,चेम्बर अध्यक्ष लापता है,गाहे बगाहे पेपर में में उनके बयान पड़ने को मिल जाते है।
अब आइये समाधान की ओर,प्रदेश के लगभग सभी जिले लॉक डाउन में है,पर इन 17 दिनों के लॉक डाउन से भी संक्रमण की स्थिति में कोई अंतर नज़र नही आ रहा है,वही 15000 हज़ार के लगभग केस प्रदेश में आ ही रहे है,मौजूदा लॉक डाउन 26 अप्रैल के प्रातः 6 बजे समाप्त होगा,पर सरकार को थोक बाजार को शनिवार दिनांक 24 अप्रैल से ही खोल देना चाहिए, ताकि रिटेलर दुकानदारों के पास इन दो दिनों में सभी वस्तुओं का भरपूर स्टॉक पहोंच जाए,ध्यान रहे ये केवल माल की आपूर्ति के लिए है,रिटेलर इन दो दिनों में आम ग्राहकों को कोई वस्तु बेच नही सकेगा केवल अपनी सप्लाई चेन ठीक करने के अलावा।सोमवार दिनांक 26 अप्रैल से बाजार को पूरे समय याने प्रातः 6 बजे से रात 10 बजे तक सामान्य ढंग से खोला जाए ताकि जनता को विश्वास रहे के बाजार में किसी भी वस्तु की कोई कमी नही है और वो दिन के किसी भी समय उसे जो भी चाहिए आसानी से बिना भय के ले सकता है,इससे न तो बाजार में निरर्थक भीड़ बढ़ेगी, जनता के मन मे लॉक डाउन को जो भय है उससे भी उसे छुटकारा मिलेगा।
अर्जुनदास वासवानी
भूतपूर्व उपाध्यक्ष
छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी
रायपुर

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