
क्रूर कोरोना ने कैसे दिन दिखाए, अब अंतिम संस्कार भी करना पड़ रहा लाइव
कोरोना की क्रूरता की इंतहा हो गई है। कोरोना से होने वाली मौतों का सिलसिला रुकने के नाम नहीं ले रहा है। संक्रमण का खौफ ऐसा कि दोस्त-रिश्तेदार क्या करीबी भी अंतिम यात्रा और संस्कार से परहेज करने लगे हैं। कई पीड़ित परिवार तो खुद ही लोगों से अनुरोध करने लगे हैं कि वे किसी कार्यक्रम में शामिल न हों, फेसबुक और व्हाट्सऐप लाइव पर ही अंतिम दर्शन करा दिया जाएगा।
शनिवार को मोक्षधाम पर अंतिम संस्कारों का क्रम जारी था। इनमें से कुछ मौतें कोरोना संक्रमण के कारण थी तो कुछ बीमारी के कारण थीं। कई बार किसी एक शव के साथ आने वालों से ही खचाखच भर जाने वाला मोक्षधाम परिसर में एक साथ जल रही छह चिताओं के बाद भी सन्नाटे जैसी स्थिति में था। एक शव के साथ तो कंधा देने वाले चार लोग भी नहीं थे। जो मौजूद थे उनमें से कुछ वीडियो कॉल पर थे। एक ने बताया कि संक्रमण के कारण रिश्तेदारों ने अंतिम संस्कार में आने से मना कर दिया। बुआ की इच्छा कि वह अंतिम बार मिल नहीं सकीं लेकिन कमकम अंतिम दर्शन ही करा देना… बस इसलिए वीडियो कॉल…. वह श्मशान के पुरोहित बताते हैं कि एक-एक दिन में पांच से छह कोरोना से मरने वालों के शव, दाह-संस्कार को पहुंचते हैं। कोरोना से मरने वालों के शव दाह की संख्या रोजाना बढ़ती जा रही है। कई बार परिवार के शामिल लोग भी शव को छूने से परहेज करते हैं। ऐसे में शवों को खुद ही उठाकर अंत्येष्टि कराई जा रही है। अब अधिकतर लोग फेसबुक और व्हाट्स एप लाइव से ही दूर से परिजनों को दर्शन कराते हैं। यह दुर्भाग्य के ही दिन हैं कि लोग इस दुख की घड़ी में भी साथ आने की स्थिति में नहीं हैं। अपनेशुक्रवार को ही प्रसिद्ध साहित्यकार और महाराजा हरिश्चंद्र डिग्री कॉलेज की प्राचार्या डॉ. मीना कौल भी कोरोना से असमय काल के गाल में समा गईं। समाजसेवी काव्य सौरभ रस्तोगी ने बताया कि डॉ. मीना की अंत्येष्टि उनकी छोटी बहन ने कराया। कोरोना से मृत्यु के कारण लोग नहीं पहुंच सके। वीडियो कॉल से ही अपनों को अंतिम दर्शन कराया गया। उनकी आत्मिक शांति के लिए रखी गई सभी रस्में और प्रार्थनाएं भी लाइव की गईं। परिजनों ने इश्तेहार के जरिए अपील की है कि जो जहां हैं, वहीं से प्रार्थना करें। डॉ. मीना के भाई-भाभी और भतीजा भी कोरोना संक्रमित होने के चलते टीएमयू कोविड अस्पताल में भर्ती हैं।
शव को छूने से भी होने लगा परहेज आंसू नहीं रोक सके। मोक्षधाम में मौजूद हर शख्स की आंखों में ऐसी ही रुला देने वाली कहानियां बिखरी पड़ी हैं।