खतरे से बचते हुए समझदारी से जीने की सीख दे रहे सजग के संदेश
‘मौसम बदले, बदले सूझ’ विषय पर केंद्रित है सजग की 27 वीं कड़ी
धीरज शिवहरे
बैकुण्ठपुर(कोरिया)‘सजग’ नाम से पालकों के लिए बनाई गई नई कड़ी कोरोना महामारी के दौर में हिम्मत हारने के बजाय समझदारी के साथ हौसला बनाए रखने की सीख दे रही है इस आडियो संदेश को गांव-गांव में न सिर्फ सुना जा रहा है बल्कि लोग इससे प्रेरित भी हो रहे हैं। सजग के आडियो संदेश में बदले मौसम में बच्चों के बेहतर लालन-पालन के उपाय सुझाए गए हैं।
सजग के संक्षिप्त आडियो संदेशों की श्रृंखला की 27 वीं कड़ी ‘मौसम बदले, बदले सूझ’ विषय पर केंद्रित है जिसमें बताया गया है कि, “चांदनी, गुड़िया और बबलू के माता-पिता कई बार मिलकर बैठते हैं। आजकल बहुत आना-जाना नहीं है तो वह उन्हीं से मिलते हैं जिनके बारे में वे जानते हैं कि वे आजकल बहुत सावधानी बरत रहे हैं। मुंह पर मास्क लगाकर बाहर निकलते हैं। किसी से मिलते हैं तो 6-8 फुट दूर रहकर ही बात करते हैं। वापस घर आते हैं तो साबुन से हाथ-मुंह धोते हैं किसी से मिलते हैं तो कोशिश करते हैं कि खुले में मिलें, बंद कमरे में नहीं।“
समाजसेवी संस्था ‘सेंटर फार लर्निंग रिसोर्सेस’ (सीएलआर) ने सजग नाम से पालकों के लिए संक्षिप्त आडियो संदेशों की श्रृंखला तैयार की है, इन आडियो संदेशों में माता-पिता के लिए सरल सुझाव दिए गए हैं, ताकि वह अपने बच्चों के लिए प्यार से अच्छी सेहत के लिए बेहतर वातावरण तैयार कर सकें। यह आडियो संदेश पालकों को सकारात्मक ऊर्जा तो प्रदान करते ही हैं, साथ ही उन्हें यह ज्ञान भी मिलता है कि बच्चों के समग्र विकास हेतु कठिन परिस्थितियों में भी वह क्या बेहतर कर सकते हैं। सजग आडियो कार्यक्रम का क्रियान्वयन महिला एवं बाल विकास विभाग तथा सीएलआर के द्वारा किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में यूनिसेफ और एचसीएल फाउंडेशन भी सहयोग कर रहे हैं। इस तरह यह प्रेरक आडियो संदेश सुदूर अंचल में रह रहे पालकों तक भी अब सहजता से पहुंचाए जा रहे हैं।
ऐसे पहुंचते हैं प्रेरक संदेश
इस संबंध में जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज खलखो ने बताया, “सजग नाम का यह आडियो क्लिप डायरेक्ट्रेट से प्रत्येक सोमवार की सुबह व्हाट्सएप के जरिए जिला अधिकारियों को भेजा जाता है। जिला अधिकारियों से परियोजना अधिकारी, परियोजना अधिकारी से सुपरवाइजर और सुपरवाइजर से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तक पहुंचता है। इसके बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इन संदेशों को पालकों को सुनाती हैं।”
उन्होंने बताया, जिन पालकों के पास व्हाट्सएप या स्मार्ट फोन जैसी सुविधाएं नहीं हैं, उनके घर तक जाकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं पालकों को संदेश सुनाकर उनसे चर्चा भी करती हैं। इन दिनों आडियो संदेशों की 27 वीं कड़ी का प्रसारण किया जा रहा है, जिससे गांव-गांव में यह प्रेरक आडियो संदेश सुना जा रहा है।‘ उन्होंने बताया, ‘कोरोना संक्रमण जैसे कठिन समय में भी सजग कार्यक्रम पूरे छत्तीसगढ़ में क्रियान्वित किया जा रहा है और इसके आडियो संदेशों की श्रृंखला पूरे 35,000 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रयासों से लगभग 5 लाख परिवारों तक पहुंचाए जा रहे हैं। यह आडियो कार्यक्रम छोटे बच्चों की बेहतरी के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयासों का एक हिस्सा है। छत्तीसगढ़ के साथ ही बिहार, उत्तरप्रदेश व महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी क्षेत्रीय बोली-भाषा में तैयार किए गए इस एप को वाट्सएप के जरिए प्रसारित किया जा रहा है।