डॉ चरणदास महंत सिर्फ नाम के विधायक काम तो चमचे निपटा रहे हैं, क्षेत्र अब कुछ चमचों के हवाले,
सक्ती। प्रदेश में कांग्रेस सरकार को दो वर्ष पूर्ण होने के साथ स्थानीय विधायक को भी दो वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। लेकिन आम जनता से दूर स्थानीय विधायक चंद चाटुकारों के बीच फंसे हुए है।
हम बात कर रहे हैं, विधानसभा अध्यक्ष व सक्ती विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ चरणदास महंत की, जो मध्यप्रदेश के समय गृहमंत्री थे बाद में केंद्रीय मंत्री भी रहे, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की भी कमान संभाली। इतने पदों में रहने के बाद भी डॉ महंत कुछ ही लोगों से घिरे नजर आते हैं। जानकारों का कहना है कि महंत जी का दरवाजा हर किसी के लिए खुला है लेकिन उनके नजदीकी सिपहसालार लोग महंत जी के करीब किसी को भटकने भी नहीं देते हैं। कुछ जानकर यह भी बताते हैं कि अगर कोई महंत जी मिलने रायपुर पहुंच भी जाता है तो उनके निज सचिव उन्हें बताते भी नहीं हैं। वहीं लगातार झूठी खबरों को डॉ महंत के कानों तक पहुंचाते हुए क्षेत्र से भी दूर रखा जा रहा है। अगर डॉ महंत क्षेत्र का दौरा करेंगे तो ज्यादा लोगों से मुलाकात होगी और लोग उनके करीब आएंगे, जिनसे कुछ लोगों को भारी नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि क्षेत्र और जिले में लगातार हो रहे डॉ महंत के विरोध को उनके कानों तक नहीं पहुंचने दिया जा रहा है। इतने बड़े राष्ट्रीय स्तर के नेता को उनके करीबियों और सरकारी कुछ नुमाइंदों द्वारा अंधेरे में रख अपना उल्लू सीधा किया जा रहा है। यहां कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अब महंत जी को सक्ती क्षेत्र से चुनाव लड़ने का कोई मोह नहीं बचा हुआ है यही कारण है कि डॉ महंत भी लगातार क्षेत्र की और जनता की उपेक्षा कर रहें है। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि अंधेर नगरी के चौपट राजा की भूमिका डॉ महंत निभा रहे है। चौपट राजा अपने कुछ दरबारियों के कारण पूरे राज को चौपट कर दिए वैसा ही कुछ स्थानीय विधायक के साथ भी होता दिख रहा है। क्षेत्र की जनता को अगर अपने विधायक से मिलना है तो उन्हें कुछ लोगों के बंगलों के चक्कर काटने पड़ते है। विधायक को देखना तो दूर उनकी तस्वीर भी अब लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है। क्षेत्र में भ्रष्टाचार चरम पर है और राजस्व विभाग में भी आम जनता की सुनने वाला कोई नहीं है, नगर पालिका और जनपद पंचायत में महंत समर्थक कहलाने वाले कुछ लोगों की ही सुनी जा रही है। पुराने लोग जो कभी महंत ही को काफी नजदीक से जानते हैं उनका कहना है कि महंत जी कभी भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं देते हैं। लेकिन उनके नाम पर चल रहे खुले आम भ्रष्टाचार को देख यही लगता है कि क्षेत्र से उन्हें कोई मोह माया नहीं हैं। विधानसभा चुनाव महंत जी मुख्यमंत्री की आशा में लड़े थे लेकिन उनकी आशा पूरी तरह से निराशा में बदल चुकी है और उन्हें अब कभी भी मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मिल सकती है यही कारण है शायद की वे राजनीति से दूर सिर्फ समय काट रहे हैं।