कैडेवर ट्रांसप्लांट : निजी अस्‍पतालाें में सेवाएं शुरू, शासकीय में ताक रहे अब भी मुंह

छत्‍तीसगढ़ में ब्रेन डेड (कैडेवर) अंग प्रत्यारोपण की सुविधाएं निजी अस्पताल में शुरू हो चुकी है, लेकिन शासन की उदासीनता के चलते शासकीय अस्पताल में यह सेवा शुरू ही नहीं हो पाई है। ऐसे में जरूरतमंद गरीब मरीजों को सुविधा की आस है।

रायपुर।। छत्‍तीसगढ़ में ब्रेन डेड (कैडेवर) अंग प्रत्यारोपण की सुविधाएं निजी अस्पताल में शुरू हो चुकी है, लेकिन शासन की उदासीनता के चलते शासकीय अस्पताल में यह सेवा शुरू ही नहीं हो पाई है। ऐसे में जरूरतमंद गरीब मरीजों को सुविधा की आस है।

बता दें कि राजधानी के डीकेएस शासकीय सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण की सेवाएं शुरू करने के लिए एक वर्ष पहले शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। अस्पताल की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव को हरी झंडी तो मिली, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने छह करोड़ मांगे जाने पर राशि ही नहीं मिली और योजना ठंडे बस्ते में चले गई।

इधर, शासन से कैडेवर अंग प्रत्यारोपण की अनुमति मिलने के बाद ही निजी अस्पताल में दो ब्रेन डेड मरीजों के अंगदान के बाद जरूरतमंद मरीजों में अंग प्रत्यारोपित कर दिया गया है। डीकेएस अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि अस्पताल में आने वाले 100 से अधिक किडनी, लिवर के मरीजों को अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। अस्पताल में सुविधाएं न होने की वजह से गरीब मरीज इलाज से वंचित हो रहे हैं।

स्वशासी मद से बजट की अनुमति
हाल ही में डीकेएस अस्पताल के स्वशासी समिति की बैठक हुई। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की अध्यक्षता में हुई बैठक में अंग प्रत्यारोपण के लिए बजट का वहन स्वशासी मद से किए जाने का प्रस्ताव रखा गया यानी अंग प्रत्यारोपण की सुविधा के लिए आने वाले खर्च का वहन अस्पताल की आय से ही होगा। स्वास्थ्य मंत्री से अनुमति मिलने के बाद भी अब तक काम आगे नहीं बढ़ पाया है।

अंग प्रत्यारोपण के लिए 23 मरीज पंजीकृत
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार ब्रेन डेड अंग प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू होने के साथ ही 23 मरीजों ने अंग प्रत्यारोपण के लिए पंजीयन करा लिया है। जिंदगी की आस लगाकर बैठे मरीजों में तीन मरीजों को लिवर व 20 मरीजों को किडनी की जरूरत है। इन मरीजों ने छत्तीसगढ़ स्टेट आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गनाइजेशन (सोटो) में आवेदन कर किया है। शासकीय में सुविधाएं न होने की वजह से इन्हें निजी अस्पताल में इलाज कराना होगा।

डीकेएस अस्पताल के अधीक्षक डा. शिप्रा शर्मा ने कहा, अंग प्रत्यारोपण की सुविधा के लिए बजट स्वशासी मद से वहन करेंगे। जरूरी उपकरण खरीदी के लिए जल्द प्रक्रिया की जाएगी। नए वर्ष में यह सुविधाएं लोगों को मिले इस लक्ष्य के साथ हम काम कर रहे हैं।

अंगदान को समझें

  1. कैडेवर – ब्रेन डेड मरीजों के अंग उनके स्वजनों की अनुमति के बाद जरूरतमंद लोगों को दिए जाते हैं। इसमें उनके शरीर से जरूरी अंग निकाल लिए जाते हैं।
  2. लाइव डोनर : ऐसे मरीज जिसकी किडनी या लिवर खराब हो। उनके परिवार के सदस्यों द्वारा अंगदान किया जाता है। 18 से 44 वर्ष की आयु के स्वस्थ व्यक्ति ही अंगदान कर सकते हैं।

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