पर्यावरण संरक्षण के लिए दोनों प्रमुख पार्टियों के वादों को देखते हुए पुराने गाने याद आते है मैं तुझसे प्यार करू मै कैसे ऐतवार करू झूठा है तेरा वादा तेरा वादा…..

पर्यावरण संरक्षण के लिए दोनों प्रमुख पार्टियों के वादों को देखते हुए पुराने गाने याद आते है मैं तुझसे प्यार करू मै कैसे ऐतवार करू झूठा है तेरा वादा तेरा वादा…..
रायगढ़ : विधानसभा और लोकसभा चुनाव के ठीक पहले पर्यावरण संरक्षण को लेकर दोनों प्रमुख पाटियों ने अपने अपने घोषणा पत्र में बड़े बड़े वादे करने वाले जनप्रतिनिधि कहा है कहा गया उनका वादा जो जिले में पर्यावरण को बचाने के लिए लम्बी लम्बी बात कर रहे थे उनके वादे को लेकर एक पुराना गाना याद आ रहा है तेरे वादे पर मर गया बंदा सीधा-साधा, यहां उल्टा है मारी गई भोली भाली जनता
विदित हो की ज्यादा समय की बात न  करते हुए कुछ हीं महीने पुराने वादा की याद दिलाते हुए बताना लाजमी होगा की लोकसभा चुनाव से ठीक पहले की बात करे तो कांग्रेस प्रत्याशी डाक्टर मेनका सिंह ने अपने घोषणा पत्र में पर्यावरण को बचाने के लिए लंबी चौड़ी घोषणा की थी लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण लोकसभा चुनाव हार गई लेकिन हार जाने से उनकी जवाबदारी खत्म नहीं हो जाती क्योंकि जनता ने उनको अपना वोट देकर विश्वास जताया था अब बारी उनकी की जनता के साथ वे कितना खड़ी होती है
वहीं भाजपा की बात की जाए तो लोकसभा प्रत्याशी राधेश्याम राठिया ने भी पर्यावरण के बचाव को लेकर कम वादे नहीं किए थे प्रदेश में दूसरे से ज्यादा वोटो से विजय हुए जो काफिले तारीफ है लेकिन राधेश्याम राठिया जी को अपने किए पर्यावरण संरक्षण को लेकर वादा को निभाना चाहिए,सबसे बड़ी बात की वे खुद ग्रामीण क्षेत्र से आते है तो ग्रामीणों को प्रदूषण से होने वाले परेशानियों को अच्छी तरह समझ सकते है और ग्रामीणों क्षेत्र के नेता होने के नाते दुख सुख में शामिल होकर ग्रामीणों के लिए आवाज उठा सकते है लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं दिख रहा है जबकि डबल इंजन की सरकार है जोरदार विरोध होनी चाहिए थी बावजूद 15 दिवसीय के अंतराल में जिले में एक साथ चार चार जनसुनवाई होना वादे को ही याद दिलाता है हद तब हो जाती है जब दोनों ही प्रमुख पार्टियों के साथी साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं का अभी तक विरोध देखने को नहीं मिला और नाही मिडिया या सोशल मीडिया या फिर प्रिंट मीडिया में दिखा

जबकि एनजीटी के रिपोर्ट के अनुसार कोरबा और रायगढ़ जिले में उघोग के विस्तार का अनुमति किसी कीमत पर नहीं देना चाहिए क्योंकि जिले में प्रदूषण के मामले में सबसे ऊपर है और यहां के रहन-सहन में जहर घोलने का कार्य किया जा रहा है कई नई-नई बीमारियां उत्पन्न हो रही है कहते की किंग कोबरा सांप के जहर से आदमी तुरत मर जाता है लेकिन कंपनियों से निकलने वाला प्रदूषण किंग कोबरा सांप से भी बड़ा जहर है क्योंकि कई नई-नई बीमारियां उत्पन्न करता है और लोगों को तिल तिल मरने करने के लिए मजबूर होना पड़ता है एनजीटी ने जिले में किसी कीमती में पेड़ कटाई को रोकने को कहा लेकिन कम्पनी विस्तार से अनगिनत पेड़ कटते है

क्या कहते पर्यावरण प्रेमी
जनप्रतिनिधियों को जिले में बढ़ रहे प्रदूषण को बचाने के लिए खुद आगे आना चाहिए चाहे वादा किए है या नहीं कम्पनी विस्तार का विरोध करना चाहिए रही बात एनजीटी का तो रायगढ़ में नई कम्पनी या कम्पनी विस्तार की अनुमति के खिलाफ है और जिसका जमीनी पर पालन नहीं किया जा रहा है जो गलत है अगर ऐसा हीं कम्पनी विस्तार होता रहे तो आने वाले कुछ वर्षो में इसकी बहुत बड़ी कीमती चुकानी पड़ेगी
राजेश त्रिपाठी
जनचेतना रायगढ़


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