कटरीना, लीजा, लैरी, हिकाका, बुलबुल, पैलिन, हुदहुद, फैनी, निसर्ग, निवार और अंफान ….जैसे चक्रवातों के नाम हम सुन चुके हैं, जिन्हें तबाही का दूसरा नाम कहना भी गलत नहीं है। वहीं अब कोरोना संकट के बीच तबाही का मंजर मुट्ठी में दबाकर ‘तौकाते’ चक्रवात आ रहा है, जिससे लोगों की जान और माल की सुरक्षा के लिए सरकार ने हरंसभव प्रयास किए हैं।
इस बीच लोगों के जेहन में ये सवाल उठता है कि आखिर इन तूफानों का नाम किस आधार पर रखा जाता है। तबाही मचाने के लिए कुख्यात इन चक्रवातों के नाम कौन रखता है? आइए हम आपको बताते हैं कि चक्रवातों का नामकरण कैसे होता है, इस नामकरण की प्रक्रिया में कौन-कौन से देश शामिल हैं और आने वाले समय में तूफानों को और किन-किन नामों से जाना जाएगा….
चक्रवात तौकाते को लेकर अलर्ट जारी
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दक्षिण-पूर्वी अरब सागर के ऊपर बनने वाला एक चक्रवात देश के तटवर्ती राज्यों में खासा नुकसान पहुंचा सकता है। कई राज्यों में तेज बारिश हो रही है। केरल में नदियां उफनाई हुई हैं, बंधों को खोल दिया गया है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने महाराष्ट्र, गोवा, केरल और कर्नाटक समेत तटीय राज्यों को अलर्ट करते हुए कहा है कि ‘तौकाते’ नाम के इस तूफान के बेहद भीषण चक्रवाती तूफान में बदलने की आशंका है। 175 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवाएं चलने का अनुमान है। आशंका जताई जा रही है कि शनिवार की रात तक यह भीषण चक्रवाती तूफान में बदल सकता है। 16 से 19 मई के बीच इसकी स्पीड 150-175 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। 18 मई को इसके गुजरात के तटीय क्षेत्र से टकराने की आशंका जताई जा रही है।
क्यों किया जाता चक्रवातों का नामकरण?
तबाही मचाने वाले चक्रवातों का नामकरण करने के पीछे की मुख्य वजह ये है कि इनको लेकर आम लोग और वैज्ञानिक स्पष्ट रह सकें। बता दें कि तौकाते नाम म्यांमार से आया है। इसका मतलब होता है अधिक शोर करने वाली छिपकली।
चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत
अटलांटिक क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत वर्ष 1953 की एक संधि से हुई। जबकि हिंद हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर इन तूफानों के नामकरण की व्यवस्था वर्ष 2004 में शुरू की। इन आठ देशों में भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। साल 2018 में ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन को भी जोड़ा गया। यदि किसी तूफान के आने की आशंका बनती है तो ये 13 देशों को क्रमानुसार 13 नाम देने होते हैं।
ऐसे चलती है नामकरण की प्रक्रिया
नामकरण करने वाली समिति में शामिल देश जो नामों की सूची देते हैं, उनको समिति में शामिल देशों के अल्फाबेट के हिसाब से नामों को सूचीबद्ध किया जाता है। जैसे अल्फाबेट के हिसाब से सबसे पहले बांग्लादेश, फिर भारत का और इसी तरह ईरान व अन्य देशों का नाम आएगा, जिनके सुझाए गए नाम पर चक्रवात का नामकरण किया जाता है। चक्रवातों का नामकरण करने का हर बार अलग देश का नंबर आता है। यह क्रम ऐसे ही चलता रहेगा।
तौकाते’ के बाद के तूफानों के होंगे ये नाम
सूची के हिसाब से मालदीव से बुरेवी, म्यांमार से तौकाते, ओमान से यास और पाकिस्तान से गुलाब नाम सूची में क्रमबद्ध हैं। बीते साल अप्रैल में ही नामों की नई सूची स्वीकृत की गई। पुरानी सूची में अंफान चक्रवात सबसे अंतिम नाम था।
नई सूची में ये नाम भी हैं शामिल
आगामी 25 साल के लिए देशों से नाम लेकर एक सूची बनाई जाती है। इन्हीं नामों में से अल्फाबेटिकल आर्डर में नाम रखे जाते हैं। नई सूची में देशों ने जो नाम दिए हैं, उसमें भारत की ओर से दिए नामों में गति, तेज, मुरासु (तमिल वाद्य यंत्र), आग, नीर, प्रभंजन, घुरनी, अंबुद, जलाधि और वेग नाम शामिल है। जबकि बांग्लादेश ने अर्नब, कतर ने शाहीन व बहार, पाकिस्तान ने लुलु तथा म्यांमार ने पिंकू नाम भी दिया है। 25 सालों के लिए बनी इस सूची को बनाते समय यह माना जाता है कि हर साल कम से कम 5 चक्रवात आएंगे। इसी आधार पर सूची में नामों की संख्या तय की जाती है।
बता दें कि इससे पहले चर्चा में रहे तूफान हेलेन का नाम बांग्लादेश ने, नानुक का म्यांमार ने, हुदहुद का ओमान ने, निलोफर और वरदा का पाकिस्तान ने, मेकुनु का मालदीव ने और हाल में बंगाल की खाड़ी से चले तूफान तितली का नाम पाकिस्तान ने दिया।
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