
महिला को पत्नी मानने से इनकार, बच्ची का डीएनए टेस्ट कराने आदेश
रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने पति द्वारा महिला का पत्नी मानने से इनकार करने के बाद उसकी बच्ची का डीएनए टेस्ट रिपोर्ट जारी करने का आदेश दिया है। सिविल लाइंस पुलिस के माध्यम से बच्ची का डीएनए टेस्ट किया जाएगा। इसके अलावा महिला उत्पीड़न से जुड़े कई मामलों में महिला आयोग ने सीधे एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक के अलावा सदस्य शशिकांता राठौर, नीता विश्वकर्मा और अर्चना उपाध्याय भी केस की सुनवाई के दौरान मौजूद थीं। जानकारी के मुताबिक महिला आयोग में सुनवाई के दौरान एक महिला ने बताया, मेरा विवाह युवक से हुआ था। पांच साल तक अपने ससुराल में रही। अब पति ने अपनी पत्नी व बेटी को पहचानने से इनकार कर दिया है। पति ने कहा, यह महिला न मेरी पत्नी है और न उसकी बच्ची मेरी बेटी है। इसके बाद अध्यक्ष डॉ. नायक ने शिकायत की जांच जारी रखते हुए महिला की बेटी और उसके पति का डीएनए टेस्ट कराने आदेश दिया। थाना प्रभारी सिविल लाइंस के माध्यम से सुपरिटेंडेंट मेडिकल कॉलेज को डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया है। डीएनए टेस्ट होने तक महिला को सखी सेंटर में सुरक्षित रखा गया है। पुलिस द्वारा टेस्ट रिपोर्ट आयोग को मुहैया कराई जाएगी।
सुनवाई के बाद केस समाप्त जानकारी के मुताबिक थाना पटेवा जिला महासमुंद की महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, जबकि आवेदिका ने एफआईआर दर्ज होने के बाद महिला आयोग में आवेदन दिया, जिसमें आवेदिका और उसके पति के खिलाफ धारा 294, 306 का अपराध दर्ज किया गया है। यह मामला महिला आयोग के अधिकार से बाहर होने के कारण समाप्त कर दिया गया। आयोग को गुमराह करने पर एफआईआर जानकारी के मुताबिक खरोरा इलाके की एक महिला ने अपने पति द्वारा बेघर करने की महिला आयोग में शिकायत की थी, जिसमें आयोग द्वारा 15 दिन में महिला व उसके पति की खरोरा पुलिस से रिपोर्ट मांगी है, जिससे महिला व उसके पति के बीच 9 लाख रुपए के विवाद का समाधान किया जा सके। वहीं कोरबा में सीएसईबी में पदस्थ लिपिक का पत्नी से कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। कोर्ट ने 6 हजार 500 रुपए भरण पोषण देने आदेश दिया है, लेकिन लिपिक द्वारा भरण पोषण आदेश पर हाईकोर्ट द्वारा स्टे लगाने की बात कहते हुए आयोग को गुमराह किया। इसके बाद आयोग ने लिपिक के खिलाफ केस दर्ज करने आदेश दिया है।