
रायपुर. टूलकिट मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह (Dr. Raman Singh) और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही मामले में जांच पर रोक लगाने के हाईकोर्ट के आदेश को यथावत रखा है. मामले पर बीजेपी के विधि विशेषज्ञ नरेशचंद्र गुप्ता का कहना है कि न्यायालय ने सत्य को स्वीकार किया. छत्तीसगढ़ सरकार के अहंकार को झटका दिया है. डॉ. रमन सिंह और संबित पात्रा को न्याय मिला है. मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच ने की.
मालूम हो कि भाजपा नेताओं की ओर से कांग्रेस की एक कथित टूलकिट सार्वजनिक होने के बाद रायपुर के सिविल लाइंस थाने में 19 मई एक एफआईआर हुई थी. इसमें डॉ. रमन सिंह और संबित पात्रा पर कई धाराएं लगाई गई थी. इस FIR को NSUI के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा की तहरीर पर लिखा गया था.
रमन सिंह ने कांग्रेस पर साधा था निशाना
टूलकिट मामले में डॉ रमन सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने टूलकिट के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा और देश को बदनाम करने की साजिश रची. सोनिया गांधी और राहुल गांधी के कहने पर छत्तीसगढ़ में भाजपा नेताओं पर एफआईआर की गई. ये एफआईआर सिविल लाइन थाने से नहीं, बल्कि कांग्रेस कार्यालय से हुई है. पूर्व सीएम ने कहा था कि 19 तारीख को 4 बजकर 4 मिनट पर शिकायत मिलती है और 4 बजकर 6 मिनट पर डॉ. रमन सिंह के खिलाफ पूरी जांच हो गई.
रमन सिंह ने सवाल किया था कि नोटिस केस डायरी का हिस्सा होता है, नोटिस मुझे मिला और उसके 5 मिनट बाद कांग्रेस इस नोटिस को ट्वीट कर देती है, जबकि ये चार्जशीट का हिस्सा होता है. ये कांग्रेस के पास कैसे पहुंचा. इसे किसी को दिया नहीं जा सकता, लेकिन इसे पुलिस ने सर्कुलेट किया गया. रमन सिंह ने आरोप लगाया था कि पुलिस के लोग आईपीसी और सीआरपीसी कानून का उल्लंघन कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि कोरोना संकटकाल के समय पर भी झूठे मुकदमे दर्ज करना कांग्रेस का षड्यंत्र है. मेरे द्वारा किया गया ट्वीट जनता को जागरूक करने के लिए था, लेकिन पुलिस ने कांग्रेस के दबाव में एफआईआर दर्ज की. मैंने कोई ट्वीट डिलीट नहीं किया. पुलिस ने मेरे ट्वीट का एक्सेस मांगा है, ये निजता के अधिकार का हनन है.