ये हैं मेंथा की वे सबसे बेहतरीन उन्नत किस्में जो बढ़ा सकती हैं किसानों की आय

पिपरमेंट (Peppermint) या मेंथा (Mentha) की खेती करने वाले किसान अगर सही किस्मों की खेती करें तो उनका मुनाफा और बढ़ सकता है. लखनऊ स्थित केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) ने मेंथा की कुछ ऐसी ही किस्मों (Best varieties of mentha) के बारे में बताया है जिससे मेंथा का उत्पादन तो बढ़ ही सकता है, साथ ही उनका रोग और कीटों से बचाव भी हो सकता है. संस्थान ने मेंथा की ऐसी कुल 13 उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी है.

सीमैप (CIMAP) ने मेंथा किसानों की मदद के लिए एक ऐप बनाया है जिसका नाम मेंथा मित्र. इसी ऐप में किसानों को मेंथा की उन्नत किस्मों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है. तो आइए एक-एक करके मेंथा की इन उन्नत किस्मों के बारे में जानते हैं.

सिम उन्नति

सिम उन्नति मेंथा प्रजाति की सबसे बेहतरीन किस्म मानी जाती है. इसकी फसल 100 से 110 दिनों में तैयार हो जाती और इससे प्रति हेक्टेयर 190 किलोग्राम तक तेल प्राप्त किया जा सकता है. इस किस्म से 5 प्रतिशत मेंथॉल और एक प्रतिशत से ज्यादा सुगंधित तेल निकलता है जो मेंथा की दूसरी प्रजातियों से 15-20 फीसदी ज्यादा है. किसान अगर इसे लगाते हैं तो प्रति हेक्टेयर एक से डेढ़ लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है.

सिम कोशी

मेंथा की इस किस्म से किसान प्रति हेक्टेयर 140 लीटर से 150 किलोग्राम तक तेल प्राप्त कर सकते हैं.  0.8 प्रतिशत सुगंधित तेल प्राप्त होता है.

सिम क्रांन्ति

मेंथा की इस किस्म की सबसे खास बात यह है कि ये शीत सहने की क्षमता रखने वाली प्रजाति है. इसकी खेती सर्दी और गर्मी, दोनों में की जा सकती है. इससे सर्दी में प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम तो गर्मियों में 170-210 किलोग्राम तक तेल प्राप्त किया जा सकता है. मेंथॉल (Menthol) 80%.

कुशल

मेंथा की कुशल किस्म की खेती अप्रैल महीने में देरी से होती है. इसके पौधे जलभराव को भी सहन कर लेते हैं. ऐसे खेत जहां पानी का जमाव होता हो, वहां इस किस्म को लगाया जा सकता है. प्रति हेक्टेयर 177-194 किलोग्राम तक तेल निकलता है. मेंथॉल 77-80%.

कालका

कालका मेंथा की जल्दी तैयार होने वाली किस्म है. प्रति हेक्टेयर 150 किलोग्राम तक तेल प्राप्त किया जा सकता है. मेंथॉल 80%.

कोसी

पिपरमेंट की ये किस्म लीफ स्पॉट, रस्ट और पाउडरी मिल्डयू जैसी बीमारियों को झेलने की क्षमता रखती है. फसल 90-100 दिनों में तैयार हो जाती है और इससे प्रति हेक्टेयर 150 किलोग्राम तक तेल प्राप्त किया जा सकता है. मेंथॉल 75-80%.

हिमालय

हिमालय मेंथा की वह किस्म है जो खुद को कीट और रोगों से बचा सकती है. इसके पत्ते चौड़े होते हैं और ये बहुत तेजी से विकसित होते हैं. प्रति हेक्टयेर 150 किलोग्राम तक तेल निकलता है. मेंथॉल 80%.

गोमती

हल्के बैंगनी रंग के सख्त और गहरे हरे रंग की पत्तियों वाले मेंथा की इस किस्म से पहली कटाई के बाद बेहतर उपज होती है. प्रति हेक्टेयर 130 किलोग्राम तक तेल प्राप्त किया जा सकता है. मेंथॉल 74%.

सिम सरयू

ये ठोस, भारी और बड़ी कैनोपी वाना पौधा होता है. मेंथा की इस किस्म से 130-140 किलोग्राम तक तेल प्राप्त किया जा सकता है. मेंथॉल सामग्री 79-80%.

सक्षम

रोग और कीटों से लड़ने में सक्षम मेंथा की से प्रजाति उच्च गुणवत्ता वाला फसल देता है. मेंथॉल सामग्री 83%.

संभव

रोयेंदार बिहार कैटपिलर को सहने की क्षमता वाली मेंथा की ये प्रजाति अत्यधिक चौड़ी कैनोपी वाली होती है और इसकी फसल 110 दिनों में पक जाती है. मेंथॉल सामग्री 75-80%.

डमरू

मेंथॉल टकसाल किस्म का उत्पादन करने वाला बीज. पत्ते रोगों से लड़ने में सक्षम होते हैं. प्रति हेक्टेयर 200 किलोग्राम तेल के अलावा 235 क्विंटल जड़ी-बूटी का उत्पादन. मेंथॉल सामग्री 78-80%.

एममएस-1

हरे रंग की पत्तियों और ज्यादा शाखाओं वाली मध्यम ऊंचाई वाली मेंथा की ये किस्म बहुत जल्दी परिपक्व हो जाती है. मेंथॉल 84%.

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