युद्धवीर के कांग्रेस प्रवेश की अटकलों से भाजपा सकते में, भूपेश बघेल के राजनीतिक विरोधियों की उड़ी नींदे
जांजगीर। इन दिनों भाजपा के कद्दावर नेता युद्धवीर सिंह जूदेव के तेवर कुछ बदले बदले से दिख रहें है। वैसे तो युद्धवीर को बेबाक नेता के रूप में जाना जाता है। इनके कांग्रेस प्रवेश की अटकलों से सरगुजा और बिलासपुर संभाग की राजनीति में भूचाल आने की संभावना।
लेकिन कुछ दिनों से प्रदेश भाजपा पर सीधे प्रहार करते हुए दबंग नेता श्री जूदेव को देखा जा रहा है। युद्धवीर के सच बोलो वाले इस आक्रामक रूप से जहां भाजपा की प्रदेश में थू थू हो रही है वहीं भाजपा के ही कुछ नेता चुपके से अफवाह भी फैला रहें है कि युवराज अब बहुत जल्द कांग्रेस का दामन थाम सकते है। वैसे ये अटकलें सिर्फ इसलिए भी लगाई जा रही है क्योंकि गत दिनों युद्धवीर सिंह जूदेव प्रदेश के मुखिया भूपेष बघेल के कामों की जमकर तारीफ कर रहे है। कुछ राजनीतिक जानकर यह भी मान रहें है कि कांग्रेस में अगर जशपुर नरेश आ जाते हैं तो सरगुजा संभाग में कांग्रेस पर चार चांद लग जायेगा। क्योंकि वर्तमान स्थिति में जो ढाई साल वाला शिगूफा चल रहा है उसमें सरगुजा नरेश की भूमिका ना हो इसे भी नहीं कहा जा सकता। ऐसी परिस्थिति में अगर युद्धवीर सिंह जूदेव कांग्रेस में शामिल होते है तो यह साफ है कि सरगुजा नरेश के विकल्प पर उन्हें देखा जा सकता है। वैसे युद्धवीर सिंह जूदेव शुरुवात से ही बेबाक नेता रहें है और उन्हें इसी कारण से भाजपा के शासन काल में मंत्री ना बना कर सिर्फ लॉलीपॉप ही पकड़ाया गया। साथ ही युद्धवीर के कांग्रेस में शामिल होने से भाजपा को सरगुजा संभाग के अलावा बिलासपुर संभाग में भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि स्व दिलीप सिंह जूदेव की राजनीतिक जीवन मे बिलासपुर संभाग में अपनी एक अलग छाप है। जिसका फायदा युद्धवीर को हमेशा से मिलता है। साथ ही साथ भाजपा के संगठन स्तर पर भी बहुत से नेता ऐसे हैं जो जूदेव परिवार के बहुत ही करीबी मानें जाते है और युद्धवीर जिधर जाएंगे उनके साथ 10 हजार छोटे बड़े नेता भी उधर का ही रुख करेंगे। आज की स्थिति में गेंद युद्धवीर सिंह जूदेव के पाले में हैं अब देखना है कि युद्धवीर भाजपा को क्लीन बोल्ड कर कांग्रेस को जिताते हैं या फिर गेंद को वापस भाजपा के हांथों में देते है। वहीं इन सबके बीच यह बात भी सामने आ रही है कि अगर युद्धवीर कांग्रेस प्रवेश करते है तो फिर चंद्रपुर विधायक को सीधे नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि युद्धवीर चंद्रपुर को छोडना नहीं चाहेंगे और रामकुमार की राजनीतिक ग्रहण की शुरुवात हो जाएगी। राजनीति के महापंडितों का मानना है कि युद्धवीर के कांग्रेस प्रवेश का असर सीधे रामकुमार की राजनीति पर पहले पड़ेगा, बाकी राजनीतिक पहलू तो चलते रहेंगे।