महिलाओं की आर्थिक सहभागिता बढ़ाने के लिए काम कर रही है। महिलाओं के स्वास्थ्य की बात की जाए तो 2020-21 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के अनुसार 23.10 प्रतिशत महिलाएं मानक बॉडी मास इंडेक्स से कम स्तर पर हैं। 15 से 49 वर्ष के आयु की महिलाओं में एनीमिया का स्तर 60.8 प्रतिशत और गर्भवती महिलाओं में यह 51.8 प्रतिशत है। इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार उनके स्वास्थ्य और सुपोषण को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रही है।
राज्य में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की सरकार ने सरस्वती सायकल योजना को वृहद स्तर पर फिर से शुरू किया गया है। इससे बेटियों को आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहन और मदद मिल रही है। असंगठित क्षेत्र की महिला श्रमिकों को भी निःशुल्क सायकल और सिलाई मशीन वितरित किया जा रहा है। सायकल मिलने से उन्हें कार्यस्थल तक जाने में सुविधा हो रही है, वहीं सिलाई सीखकर वे चाहें तो सिलाई-बुनाई को आमदनी का जरिया बना सकती हैं।
महिलाओं और बालिकाओं की आपातकालीन सहायता के लिए प्रदेश में दूरभाष हेल्पलाइन-1091 की सेवा संचालित है। गर्भवती और शिशुवती महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से स्वादिष्ट और पौष्टिक पूरक पोषण आहार वितरण किया जा रहा है। गरीब परिवार की विवाह योग्य बेटियों के सम्मानपूर्वक विवाह के लिए वर्ष 2005-06 से प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना संचालित है। प्रदेश की महिलाएं राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर आगे बढ़ ही रही हैं। इसके अलावा वे अपनी मेहनत और खुद की योग्यता के बल पर प्रदेश की अर्थव्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था और राज्य के खेल जगत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।