
सफलता की कहानी – नरवा विकास कार्य किसानों के लिए साबित हुआ सार्थक, किसान खेतों में दोहरी फसल लेकर बढ़ा रहे है अपनी आमदनी
किसान सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होने से खरीफ फसल के साथ मौसमी सब्जी के उत्पादन में बढ़ रही है रूचि, नरवा विकास से ग्रामीण लोगों का आजीविका संवर्धन, रोजगार प्राप्ति, आय में वृद्धि एवं जीवन स्तर में हुआ सुधार, वन्यप्राणियों को पेयजल सहित आसपास के ग्रामीणों को निस्तार की मिल रही है अच्छी सुविधा
जशपुरनगर 26 दिसम्बर 2020/ राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ‘नरवा विकास योजना’ के तहत नाला सफाई सह नाला बेड सुधार के हो रहे कार्यों से जिले में भू-जल संरक्षण में बढ़ोत्तरी के साथ ही वनांचल की बंजर एवं अनउपजाऊ भूमि भी उपजाऊ बन रही है। जिले में नरवा विकास के अंतर्गत नालों के संरक्षण तथा संवर्धन एवं भूमि कटाव को रोकने संबंधी किए जा रहे विभिन्न कार्य भू-जल के संरक्षण और संवर्धन में काफी मददगार साबित हो रहे है। वन क्षेत्रों में नाला उपचार के लिए स्टॉप डैम, बोल्डर चेक डैम, गेबियन संरचना, इत्यादि भू-जल आवर्धन संबंधी संरचनाओं का काफी तादाद में निर्माण तेजी से किया जा रहा है। इन संरचनाओं का निर्माण से वर्षा के जल को रोककर उसका उपयोग सिंचाई एवं निस्तारी के लिए किया जा रहा है।
कोविड-19 के कारण जहॉ एक ओर लॉकडाउन के समय अर्थव्यस्था चरमरा गयी थी वहीं जिले में मनरेगा के अंतर्गत विभिन्न कार्यो की स्वीकृति प्रदान कर ग्रामीण लोगों को रोजगार प्रदान कर उनके आय में बढ़ोत्तरी किया गया है। नरवा विकास के अंतर्गत कुनकुरी विकासखंड के भेंलवाटोली, खरवाटोली, केराडीह, जोरातराई में लगभग 7 किलोमीटर तुम्बाजोर नाले का पुर्नजीवित किया गया है। इससे किसानों को अधिक से अधिक सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करा कर जल संरक्षण एवं संवर्धन किया जा रहा है। जिससे वनांचल के लोगों को धान के अतिरिक्त अन्य कार्यो के लिए बरसात के पानी पर निर्भर रहने की आवश्यकता न पड़े। इस कार्य मेें मनरेगा के तहत् 15765 मानव दिवस रोजगार का सृजन कर 31.778 लाख राशि का मजदूरी भुगतान किया गया।
नाला सफाई का प्रभाव समीपस्थ जल स्त्रोतों पर भी नजर आ रहा है। क्षेत्र के कुआं, डबरी, में भी लगभग 15 से 25 सेंटीमीटर जल भराव में वृद्धि हुई है। इससे किसानों को सिंचाई के लिए जल आसानी से मिलने लगा है। फलस्वरूप किसान खरीफ के साथ-साथ रबी फसलों एवं नदी किनारे के उपजाऊ भूमि पर मौसमी साग-सब्जी की खेती कर अपने आय में दोगुना बढ़ोत्तरी कर रहे है। नरवा विकास के कारण किसान 46 हेक्टेयर रकबे में दोहरी फसल ले रहे है। नरवा विकास से ग्रामीण लोगों का आजीविका संवर्धन, रोजगार की प्राप्ति, आय में वृद्धि एवं जीवन स्तर में सुधार हुआ है। लाॅकडाउन के दौरान ग्रामीण लोगों के लिए नरवा विकास कार्य प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूप से लाभ दायक सिद्ध हुआ है। जिसमें प्रत्यक्ष रूप से मजदूरी भुगतान एवं अप्रत्यक्ष रूप से उनके सिंचाई क्षेत्रफल के रकबे में बढ़ोत्तरी, जल स्तर में वृद्धि एवं भूमि कटाव में रोकथाम सहित अन्य लाभ शामिल है। इससे आसपास के क्षेत्र में वनों के पुनरूत्पादन में भी वृद्धि हुई है। वन्यप्राणियों के पेयजल सहित आसपास के ग्रामीणों के निस्तार की अच्छी सुविधा उपलब्ध हो रही है।
ग्रामीण किसानों एवं उनके परिवार के आजीविका का मुख्य साधन खेती एवं मजदूरी है। नरवा विकास से लाभ प्राप्त करने वाले हितग्राही, श्रमिक एवं किसानों का कहना है नाला सफाई का कार्य उनके लिए बहुत सार्थक साबित हुआ। क्योंकि नरवा विकास के तहत् किसान को फसल उत्पादन करने एवं मनरेगा तहत् मजदूरी भी मिल रहा है। उन्होंने बताया कि बरसात के आठ माह बाद जो नाला सूख जाता था, अब इसमें वर्ष भर जल का भराव बना रहता है। इससे उन्हें सिंचाई हेतु जल की प्राप्ति सम्भव हो रही है। जिससे किसानो का धान, गेहूं, चना, सहित सब्जी के उत्पादन में भी रूचि बढ़ रही है। किसानों का कहना है कि अब उन्हें दूसरी जगह आजीविका की तलाश में जाना नहीं पड़ता है। उन्हें अपने खेत में ही रोजगार मिल गया है। नरवा विकास कार्य से आम नागरिक बहुत खुश है और नदी किनारे की भूमि में नवीन तकनीकि से खेती कर अपने आय में वृद्धि एवं अपने परिवार के सदस्यों का भरण पोषण कर रहे है।