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सुभाष चंद्र बोस की 125वीं पुण्यतिथि के मौके पर उनकी पुस्तकों के पुन: मुद्रण पर विचार कर रही है सरकार

सरकार सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर उनकी लिखी गईं कुछ पुस्तकों के री-प्रिंट और छात्रों के लिये फैलोशिप शुरू करने पर विचार कर रही है.

नई दिल्लीः सरकार 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर उनकी लिखी गईं कुछ पुस्तकों के री-प्रिंट और छात्रों के लिये फैलोशिप शुरू करने पर विचार कर रही है. इसके अलावा सरकार आईएनए के पूर्व सदस्यों को गणतंत्र दिवस परेड का नेतृत्व करने के लिये आमंत्रित करने पर भी विचार कर रही है.

संस्कृति मंत्रालय के एक बयान के अनुसार कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान ये प्रस्ताव रखे गए. बयान में कहा गया है, ‘बैठक में शामिल होने वालों में से कुछ ने नेताजी के साथ-साथ आईएनए के सदस्यों की लिखी गईं कुछ पुस्तकों की दोबारा छपाई और नेताजी को युवाओं के चहेते और लैंगिक समानता के पुरोधा के रूप में पेश करने के लिये स्कूलों और कॉलेजों में लघु व्याख्यान शुरू करने का सुझाव दिया.’

बैठक में बोस के परिवार और नेताजी सुभाष चंद्र बोस आईएनए ट्रस्ट के सदस्यों, शिक्षाविदों, इतिहासकारों और उनसे जुड़े विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

वहीं सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में नवनिर्मित मजेरहाट पुल का नाम मंगलवार को ”जय हिंद” रखने की घोषणा की है. साल 2018 के सिंतबर महीने में इस पुल के ढह जाने के बाद दोबारा इसका निर्माण किया गया.

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