अनुशासनहीनता के आरोप में भाजपा नगर मण्डल अध्यक्ष सक्ती व भोथिया मण्डल अध्यक्ष को प्रदेश अध्यक्ष ने किया पद से मुक्त

सक्ती। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष माननीय विष्णु देव साय ने अनुशासनहीनता के आरोप में भोथिया मंडल के मंडल अध्यक्ष संजीव चंद्रा एवं सक्ती नगर मंडल के मंडल अध्यक्ष भवानी तिवारी को तत्काल प्रभाव से पद मुक्त कर दिया है ज्ञात हो कि यह दोनों मंडल अध्यक्ष जिलाध्यक्ष को पद से हटाने के लिए अभियान चला रहे थे और मोर्चा खोलकर खुलेआम विरोध कर रहे थे। विशेष सूत्रों के अनुसार दोनों मंडल अध्यक्ष पर अनुशासनहीनता के गंभीर आरोप हैं भोथिया नगर मंडल के मंडल अध्यक्ष संजू चंद्रा के बारे में बताया जाता है की जिलाध्यक्ष से बिना अनुमोदन कराएं अपने मंडल की कार्यकारिणी को घोषित कर दिया था और जिलाध्यक्ष की अनुशंसा व जिलाध्यक्ष के निर्देशों का अवहेलना करता था जिला पंचायत के चुनाव में अपने मनमर्जी से प्रत्याशी खड़ा किया जोकि चुनाव में आखरी पायदान पर था वह संगठन के निर्देशों का पालन नहीं करता था पार्टी की मीटिंग में हमेशा अनुपस्थित रहता था और जिला संगठन के योजना अनुसार काम नहीं करता था ।मोर्चा प्रकोष्ठ में नियुक्तियों को लेकर दोनों मंडल अध्यक्ष जिला अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल रखे थे बताया जाता है कि यह दोनों मंडल अध्यक्ष अपने अपने चहेते व्यक्तियों की जिला एवं मंडल में नियुक्तियां कराना चाहते थे जब इनका स्वार्थ सिद्ध नहीं हुआ तो इन्होंने जिलाध्यक्ष के खिलाफ सीधे मोर्चा खोल दिया और संगठनात्मक बात जो संगठन के मंच पर रखना चाहिए उसे सार्वजनिक रूप से मीडिया में अनर्गल बयानबाजी करने लगे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इन्हें समझाइश दी गई की पार्टी की आंतरिक मामलों में मीडिया में बात नहीं करनी चाहिए यह मीडिया में बयानबाजी करना अनुशासनहीनता के दायरे में आता है इसलिए ऐसा ना करें लेकिन उन्होंने नेताओं की एक भी बात नहीं सुनी और अन्य कार्यकर्ताओं को साथ लेकर रायपुर प्रदेश कार्यालय में जाकर अपना शक्ति प्रदर्शन किया जिससे आलाकमान नाराज हो गए बताया जाता है कि यह दोनों मंडल अध्यक्ष अन्य मंडल अध्यक्षों को और अन्य कार्यकर्ताओं को भी जिला अध्यक्ष के खिलाफ भड़का रहे थे । बताया जाता है कि यह दोनों मंडल अध्यक्ष जिला के पदाधिकारियों से कई बार दुर्व्यवहार भी कर चुके हैं जिसकी शिकायत जिला पदाधिकारियों ने भाजपा जिलाध्यक्ष से की थी। यह दोनों अपने अपने मंडल में मंडल के वरिष्ठ नेताओं से बिना पूछे अपनी मर्जी से मंडल पदाधिकारियों को चयन किया करते थे जिसके कारण यहां समन्वय का अभाव था, इनके द्वारा मंडल के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जाती थी और और अपने मन मुताबिक मंडल चलाना चाहते थे। भवानी तिवारी अपने मंडल को तानाशाही पूर्वक चलाते थे, पदाधिकारियों की योजना के अनुसार कार्य नहीं करते थे नगर पालिका के चुनाव में उनकी भूमिका संदिग्ध थी, जिसकी शिकायत भाजपा संगठन से की गई थी, नगर पालिका चुनाव के दौरान इनकी लापरवाही के कारण पार्टी का प्रत्याशी बदलना पड़ा था इस दौरान उन्होंने व्हाट्सएप पर अपना इस्तीफा भी जारी कर दिया था श्री तिवारी नगर पालिका चुनाव में पार्टी के विरोध में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का पक्ष लिया करते थे निलंबित कार्यकर्ताओं को पार्टी की बैठकों में बुलाकर उन्हें महिमामंडित करते थे पार्टी से निलंबित कार्यकर्ताओं का नाम मोर्चा प्रकोष्ठ में नियुक्ति के लिए भेजते थे और दबाव भी बनाते थे जिनकी नियुक्तियां नहीं होने की स्थिति में अखबारों में खुलेआम बयान बाजी करते थे। बताया जाता है कि भवानी तिवारी के द्वारा कुछ पार्षदों के ऊपर दबाव बनाया जाता था की अपना लेटर पर एवं सील मोहर उनके पास छोड़ दें जो भी लिखना है वह लिखकर के कार्य करेंगे जिससे पार्षदों ने इंकार कर दिया तो कहने लगा कि मेरे दम पर पार्षद बने हो इसलिए अपना कोरा लेटर पैड मेरे पास छोड़ना पड़ेगा। इस तरह की शिकायतों का अंबार था और अनुशासनहीनता की परकाष्ठा थी जिससे तंग आकर जिलाध्यक्ष ने इनकी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को भेज दिया था जिस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने दोनों मंडल अध्यक्षों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है।