अमृतकाल अंजोर विजन डॉक्यूमेंट @2047 एक जुमला = प्रिंकल दास JCCJ

@GSDP वृद्धि/ 12 गुना वृद्धि की आवश्यकता वर्तमान वृद्धि दर 7.51%

@साक्षरता दर / धीमी ऐतिहासिक वृद्धि (0.8% प्रति वर्ष); ग्रामीण असमानता

@पर्यावरण/= खनन से क्षति; जलवायु प्रभाव से फसल हानि

@सामाजिक समावेश/ संसाधन पहुंच की कमी; असमान विकास

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के जिला उपाध्यक्ष दृष्टिकोण संस्था के प्रमुख और आरटीआई कार्यकर्ता श्री प्रिंकल दास ने अंजोर @2047 को एक जुमला बताया है उन्होंने कहा कि प्रदेश कि विष्णु सरकार जनता को छल रही है श्री दास ने बताया कि
छत्तीसगढ़ राज्य को 2047 तक विकसित राज्य बनाने का महत्वाकांक्षी विजन प्रदेश कि विष्णु/ओपी सरकार ने प्रस्तुत किया है, जिसमें GSDP को 75 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना, 100% साक्षरता, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समावेश जैसे लक्ष्य शामिल हैं। हालांकि, तथ्यात्मक दृष्टि से देखें तो यह विजन कई चुनौतियों का सामना करता है वर्तमान आंकड़ों, राज्य की आर्थिक-सामाजिक स्थिति और पर्यावरणीय मुद्दे हैं जो दिखाते हैं कि लक्ष्यों की प्राप्ति में व्यावहारिक बाधाएं हैं।
विजन में GSDP को 2047 तक 75 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य है, लेकिन 2025-26 के लिए राज्य का प्रोजेक्टेड GSDP मात्र 6.35 लाख करोड़ रुपये है
यह मतलब है कि अगले 22 वर्षों में GSDP को लगभग 12 गुना बढ़ाना होगा,जो औसत वार्षिक वृद्धि दर 11-12% की मांग करता है। वर्तमान में, 2024-25 की वृद्धि दर केवल 7.51% अनुमानित है,और राज्य का डेब्ट-to-GSDP अनुपात भी बढ़ रहा है,जो वित्तीय दबाव बढ़ा सकता है।

ऐतिहासिक रूप से, छत्तीसगढ़ जैसे संसाधन-आधारित अर्थव्यवस्थाओं में ऐसी वृद्धि दुर्लभ है,खासकर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं (जैसे मुद्रास्फीति और जलवायु प्रभाव) के कारण। लॉजिस्टिक हब और स्टेट कैपिटल रीजन (SCR) के विकास पर जोर है, लेकिन राज्य की 60% आबादी कृषि पर निर्भर है और औद्योगिक क्लस्टरिंग की कमी है, जो विविधीकरण को कठिन बनाती है। विजन 100% साक्षरता दर का लक्ष्य रखता है, लेकिन 2025 में छत्तीसगढ़ की साक्षरता दर केवल 78.5% अनुमानित है।2011 की जनगणना में यह 70.28% थी, और पिछले दशक में वृद्धि धीमी रही है (लगभग 0.8% प्रति वर्ष)।

महिला साक्षरता (68.8%) और आदिवासी क्षेत्रों में (60% से कम) यह और भी कम है,जो विजन की समावेशिता को चुनौती देती है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए संसाधनों की कमी (जैसे शिक्षकों की कमी और ड्रॉपआउट रेट) को देखते हुए, 2047 तक 100% प्राप्ति अव्यवहारिक लगती है,खासकर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में जहां पहुंच सीमित है।
विजन में 44% वन क्षेत्र को इको-टूरिज्म में विकसित करने और हरित अर्थव्यवस्था का उल्लेख है, लेकिन छत्तीसगढ़ जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। 2025 में राज्य अनियमित वर्षा, बढ़ती तापमान, जल संकट और भूमि क्षरण का सामना कर रहा है।
खनन और कोयला खदानों (जैसे हसदेव अरण्य में) के कारण वन क्षति जारी है, हालांकि 2022 में 21 कोयला खदानों को रद्द किया गया था पर्यावरण न्याय के कारण। इको-टूरिज्म बढ़ावा देने से वन क्षेत्र पर दबाव बढ़ सकता है,जबकि राज्य की ग्रीन GDP पहल (2025 से शुरू) अभी प्रारंभिक चरण में है और कार्यान्वयन चुनौतीपूर्ण है।

जलवायु प्रभाव से फसल उत्पादन (जैसे गेहूं) पर नकारात्मक असर पड़ रहा है, जो आर्थिक लक्ष्यों को प्रभावित करेगा।
विजन नागरिक भागीदारी (जैसे “मोर सपना, मोर विकसित छत्तीसगढ़” पोर्टल) पर जोर देता है, लेकिन राज्य में स्वास्थ्य और पर्यावरण चुनौतियां जुड़ी हुई हैं, जैसे मोनसून बाढ़ और जलवायु प्रभाव से स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ना।

एनीमिया मुक्त राज्य और मृत्यु दर कम करने के लक्ष्य अच्छे हैं, लेकिन वर्तमान में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। इसके अलावा, विजन में ठोस समयसीमा और बजट आवंटन की कमी है, जो पिछले सरकारी योजनाओं (जैसे आयुष्मान भारत में पेंडिंग पेमेंट्स) की तरह असफलता का कारण बन सकती है।
आदिवासी समुदाय (राज्य की 30% आबादी) के लिए समावेशिता का दावा है, लेकिन पर्यावरणीय मुद्दों (जैसे वन अधिकार) से जुड़ी असमानताएं बनी हुई हैं, जो विजन की टिकाऊता पर सवाल उठाती हैं।
मेरा यह मानना है कि विजन की सफलता वर्तमान चुनौतियों को संबोधित करने पर निर्भर है, जैसे वित्तीय स्थिरता, पर्यावरण संरक्षण और समावेशी नीतियां। यदि इन पर ध्यान न दिया गया, तो लक्ष्य कागजी रह सकते हैं।

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