आपरेशन सिन्दूर की दहक तो जारी रहेगी ……

रायगढ़ आपकी आवाज : पहलगाम पर हुए हमले का नाम आपरेशन सिन्दूर रखने से करोड़ों महिलाऐं अप्रत्यक्ष रूप या कह लें या भावनात्मक रूप से इससे जुड़ चुकी हैं। यह सिलसिला अब थमेगा नही बल्कि दूर तक जाऐगा। जिस तरह दो महिला सैन्य अधिकारियों द्वारा इस पूरे मिशन की ब्रिफिंग की गई  जिस तरह हमारे प्रधानमंत्री द्वारा दलगत राजनीति से उपर उठकर विभिन्न दलों के प्रतिनिधि मंडल जिनमें महिला राजनेत्रिया भी शामिल थी विदेशों मे भेजा गया और जिस मुखरता से उन्होने विश्व पटल पर आतंकवाद पर अपने देश के विचार साझा किया वह बेहद प्रशंसनीय रहा। भारत की एक नई तस्वीर पूरी दुनिया ने देखी। बात बात पर परमाणु बम की धमकी या ब्लैक मेलिंग की पूरी हवा इस आपरेशन सिन्दूर ने निकाल दी महज इतना ही नहीं जिस तरह एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप मे भारत की जैसी छबि वर्तमान मे बनी है विगत पचहत्तर वर्षों मे कभी नहीं रही थी।इसके पीछे निश्चित तौर पर राष्ट्रवाद की भूमिका अहम रही है ठीक इसी तरह  राष्ट्र के विकास मे भी सकारात्मक सोच वाले राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी अपनी सोच को धरातल पर उतारा है । चंद विघ्नसंतोषियों को यह रास नहीं आ रहा होगा पर उनके इस असंतोष की पीड़ा सिन्दूर की दहक से झुलसती हुई पीड़ा की अभिव्यक्ति सी है।

यदि हम बात करें दो रोज पहले प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लोकार्पण किए विश्व के सबसे ऊंचे पुल की जो चिनाब पर लगभग बाईस वर्ष बाद बना है तो फिर हमें इतिहास पर जाना होगा कि क्यो एक प्रोजेक्ट जिसकी स्वीकृति 2003 मे हो चुकी थी उसे पूरे होने मे बाईस वर्ष लगे।सब कुछ गूगल पर उपलब्ध है। व्यर्थ की टीका टिप्पणियों और श्रेय लेने की होड़ मे फुदक रहे राजनैतिक समर्थकों की बयानबाजी से सोशल मीडिया भरा पड़ा है।सत्य यह है कि 2017 से इस कार्य को गंभीरतापूर्वक लेते हुऐ तीन हजार से अधिक इन्जीनियर और अन्य कर्मियों ने 2024 मे तकरीबन खत्म किया गया। इसे ही इच्छाशक्ति कहा जाता है। उल्लेखनीय यह है कि इस निर्माण कार्य और डिज़ाइनिंग मे जिसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका रही वह एक स्त्री है।जो वर्तमान मे इन्डियन इन्स्टीट्यूट आफ साइन्स मे कार्यरत है। प्रोफेसर माधवी लता जियोटेक्नीकल एक्सपर्ट के रूप मे इस प्रोजेक्ट मे रही।यदि दशरथ मांझी को माउन्टेन मैन के रूप मे जाना जाता है तो प्रोफेसर माधवी लता को भी माउंटेन मूव्हिंग वुमन नाम दिया जा सकता है। सिन्दूर की सार्थकता माधवी लता जैसी महिला भी करती है।

अंत मे यदि आपरेशन सिन्दूर मे अग्निवीरो की बात न की जाए तो बात अधूरी रह जाएगी। जिस अग्निपथ योजना पर विपक्ष ने शोरगुल मचाया था। उनकी भूमिका भी इस आपरेशन मे बेजोड़ रही। युद्ध केवल धरती पर ही नही आकाश मे भी लड़े जाते है। एयर डिफेंस सिस्टम मे दुश्मन द्वारा दागी गई मिसाइल और ड्रोन को ध्वस्त करने मे तकनीक सहायक के रूप मे उनकी भूमिका भी बेजोड़ रही।उनके भी योगदान को नकारा नहीं जा।

तो यह है आपरेशन सिन्दूर जिसकी दहक लम्बे अरसे तक रहेगी।अब यह देशवासियों को तय करना है किसे झुलसना है और किसे नहीं???
आशा त्रिपाठी

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