उन लोगों को भी ‘HAPPY MOTHER’S DAY’ जो अपनी माँ को वृद्धाश्रम या सड़क पर छोड़ देते हैं

माँ शब्द की तो महिमा ही निराली है। कहते हैं माँ की दुआ कभी खाली नहीं जाती क्योंकि एक माँ ही है जिसकी बात भगवान से भी टाली नहीं जाती। माँ बच्चे को डांटने के बाद खुद रो देती है और अगर बच्चा खाना ना खाए तो खुद भी नहीं खाती है। माँ बच्चे के हर सुख-दुःख में उसके साथ खड़ी रहती है। उसके लिए हर गम झेल जाती है। पिता की डांट से बच्चे को बचाती है और अपने हिस्से की भी रोती उसे खिलाती है। एक माँ ही है इस दुनिया में जो हमे दोबारा नहीं मिल सकती। माँ क्या होती है यह बात वो बच्चे बहुत आसानी से बता सकते हैं जिन्होंने अपनी माँ को खो दिया है। 9 महीने बच्चे को अपने पेट में संभालकर रखने का दर्द, तकलीफ माँ सहती है लेकिन कभी उफ़ नहीं करती। बच्चे को जन्म देने का दर्द भी माँ सहती है लेकिन बच्चे के जन्म लेने के बाद सबसे अधिक खुश भी माँ होती है।

आज कई बच्चे हैं जो सोशल मीडिया पर अपनी माँ के साथ एक प्यारी सी तस्वीर शेयर कर उन्हें मातृ दिवस की बधाई दे रहे हैं लेकिन असल में वो क्या कर रहे हैं यह तो उनकी माँ ही जानती है। घर पर माँ के साथ कैसा बर्ताव होता है यह माँ ही बता सकती है। आज हर तरफ से ऐसी खबरें आती हैं कि बेटे ने माँ को मार दिया, बेटे ने माँ को वृद्धाश्रम छोड़ दिया, बेटे ने जायदाद के लिए माँ का कत्ल कर दिया…!

आखिर कब तक हम ऐसी खबरें सुनते रहेंगे। और अगर दुनिया का हर बेटा अच्छा है तो ऐसी खबरें आ कहाँ से रही है? माँ दुनिया की हर मुश्किल का हल है। अगर हम कभी रोते हैं तो माँ हमे समझाती है और उनके सामने अपनी समस्या बताने से हम खुद को मजबूत महसूस करते हैं। माँ किसी पर बोझ नहीं होती है बल्कि वो तो एक देवी है जिसकी पूजा करना, जिसकी सेवा करना हमारा कर्तव्य है। भले ही भगवान को न मानो, न ही उनका जाप करो लेकिन माँ के चरण दबा दो, उन्हें प्रेम से खाना खिला दो, उनसे मीठे बोल बोल दो तो ही आपका जीवन सफल हो जाएगा।

माँ ने हमे जन्म दिया और इस काबिल बनाया कि हम खुद भी कमाकर खा सके और उन्हें भी कमाकर खिला सके लेकिन फिर भी दुनिया में चारों तरफ वृद्धाश्रम है, सड़क पर माँ भीख मांग रही है। समझ नहीं आता ऐसे बच्चों को नींद कैसे आती होगी जो अपनी माँ को इस हालत में रहने पर मजबूर करते हैं। वो माँ जो रात में बच्चे के सोने के पहले सोती नहीं थी आज वही बच्चा माँ को सड़क पर सोते देख खुद घर में चैन से सोता है।

वो माँ जो बच्चे को नए-नए कपड़े पहनाती थी आज वही बच्चा अपनी माँ को एक साड़ी खरीद कर नहीं दे पाता। आज हालात कुछ ऐसे दिखाई देते हैं कि बच्चे माँ को अपना गुरु, अपना भगवान, अपना सब कुछ समझने के बजाय बोझ समझते हैं। माँ के घर में रहने से उनका खर्चा बढ़ जाता है और माँ को निकाल देने से जिंदगी अच्छी चलने लगती है। कई ऐसे बच्चे हैं जो आज अपनी माँ को सिर्फ घर की नौकरानी समझते हैं। उनसे घर का सारा काम करवाते हैं और बदले में उन्हें डांटते हैं, मारते हैं और भी ना जाने क्या-क्या। ऐसे किस्सों को सुनकर दिल और आँखें दोनों भर आती हैं कि आखिर ऐसी माँ पर क्या गुजरती होगी जिनके साथ ऐसा होता है।

आज के दौर में माँ के क्या हालात हैं यह आप सभी से छुपे नहीं होंगे। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे के बाहर भी आपको ना जाने कितनी ऐसी वृद्ध महिलाएं दिखेंगी जो अपने लिए दो वक्त के खाने के लिए पैसे, खाना मांगती हैं। अगर हमारा देश इतना समृद्ध है तो यह महिलाएं आ कहाँ से रहीं हैं। भारत एक ऐसा देश है जहाँ माँ को भगवान का दर्जा दिया जाता है लेकिन अब हालात ऐसे नहीं रहे। अब माँ को घर में नौकरानी का दर्जा दिया जाता है या तो फिर उन्हें घर से बाहर फेंक दिया जाता है। आज का युवा भले ही कितनी भी तरक्की कर ले लेकिन अगर वह अपनी माँ की सेवा नहीं करता तो वह किसी भी तरह से सम्मान योग्य नहीं है।

आज के युवाओ को माँ के साथ बाहर निकलने में भी शर्म आती है। कई ऐसे युवा भी हैं जो गाँव से शहर आए और अपने माता-पिता के भेजे पैसों से अमीर बन गए लेकिन जब माता-पिता को शहर बुलाने की बारी आई तो मुकर गए। केवल इसलिए क्योंकि उनका रहन-सहन गाँव वालों जैसा है। कई ऐसे युवा भी हैं जो अपने माता-पिता को केवल यही कहकर चुप करवाते रहे कि हम आपको बुला लेंगे लेकिन उन माता-पिता के लिए बेटे का बुलावा तो कभी नहीं आया लेकिन हाँ मौत का बुलावा जरूर आ गया।

बेटा हो या बेटी आज के समय में माँ को अपने घर में थोड़ी सी भी जगह देने में शर्म आती है। कई किस्से ऐसे सुने हैं हमने जिसमे माँ बेटे के घर से निकालने के बाद बेटी के घर गई तो वह भी अपनी माँ को नहीं रख सकी। वाकई में लानत है ऐसे बच्चों पर जो अपनी माँ को, अपने पिता को सहारा नहीं दे पाते। उनका खर्च नहीं उठा पाते। आज मातृ दिवस की शुभकामनाएं देने वाले लाखों लोग हैं लेकिन अगर सभी अच्छे हैं तो फिर सड़क और वृद्धाश्रम में दिखने वाली माँ कहाँ से आईं हैं?

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