
एलॅन्स पब्लिक स्कूल में “वीर गाथा” का आयोजन जवानों के सम्मान में किया गया
दिनेश दुबे 9425523689
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*एलॅन्स पब्लिक स्कूल में “वीर गाथा” का आयोजन*
बेमेतरा = एलॅन्स स्कूल के डॉ अब्दुल कलाम सभागार में वीर गाथा कार्यक्रम का आयोजन जवानों के सम्मान में किया गया. कार्यक्रम का प्रारम्भ अखिल भारतीय भूतपूर्व सैनिक परिषद छत्तीसगढ़ के विशिष्ट अतिथि भुवन लाल देशमुख के आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। *कार्यक्रम की शुरुआत स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में स्थापित शहीद वेदी पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर की गई जिसमें सभागार में उपस्थित सभी लोगों ने शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। 37 एनसीसी बटालियन छत्तीसगढ़ के भूपेंद्र सिंह, पवन कुमार निषाद व अनिल देशमुख का स्वागत एवं स्टार बैच व पुष्प गुच्छ देकर किया।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. सत्यजित होता ने अतिथियों को देश के नायक कहकर संबोधित किया तथा कहा कि जिन्होंने भारत माता के आंचल को सुरक्षित रखा है ऐसे महानुभाओं को मेरा सलाम है । प्राचार्य ने अपने उद्बोधन में वीर शहीद द्वारा अपने परिजनों को लिखित अंतिम चिट्ठी का बखान किया। उन्होंने जय जवान, जय किसान और भारत माता की जय के नारे लगाकर सभागार को गुंजायमान कर दिया। उन्होंने सोमनाथ बत्रा जैसे चीन और कारगिल के साथ युद्ध के नायकों की भी प्रशंसा की। उनके अनुसार, सैनिक सैन्य कर्तव्यों की सेवा करते हुए अपने परिवार, जाति और धर्म को भूलकर अपनी मातृभूमि की सेवा करते हैं। उन वीर जवानो को मेरा कोटि कोटि नमन जो अपनी जान की परहाव न कर कड़ाके की ठंड , चिलचिलाती धूप व घने कोहरे को सहते हुए सरहद पर पहरा देकर हम सभी को निश्चित होकर नींद लेने का अवसर प्रदान करते है। उन्होने बच्चो को भी वीर शहीदो को शहादत का सम्मान करने तथा उनकी तरह अपने जीवन मे अनुशासन को चरितार्थ करने की सलाह दी। उन्होंने सभी युवा पीढ़ी को आमंत्रित करते हुए कहा कि यदि हम अपने देश को एक भ्रष्टाचार मुक्त, स्वस्थ और अनुशासित विकसित देश के रूप में देखना चाहते हैं तो प्रत्येक युवा पीढ़ी को कम से कम दो साल के लिए सैन्य प्रशिक्षण लेना आवश्यक होगा। कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के छात्रों को एनसीसी प्रशिक्षण के साथ – साथ हमारी इंडोलॉजिकल वैदिक अवधारणा के अनुसार आध्यात्मिक प्रशिक्षण के भी लेना होगा। उन्होंने अखिल भारतीय पूर्व सैनिक परिषद छत्तीसगढ़ और 37 एनसीसी बटालियन, छत्तीसगढ़ के सदस्यों को स्मृति चिन्ह स्वरूप अशोक स्तम्भ भेट किया।
विशिष्ट अतिथि भुवनलाल देशमुख (भूतपूर्व सैनिक) ने कहा कि जवानों का जीवन अपने लिए नहीं बल्कि भारत माता के चरणों में समर्पित होता है, मेरा सौभाग्य है कि मुझे भारत माता की सेवा करने का अवसर मिला। उन्होंने कर्तव्यपरायण, देशभक्त और मेहनती सैनिक बाबा हरभजन सिंह की सैन्य गाथा सुनाई। विभिन्न सैन्य अधिकारियों के अनुसार, कहा जाता है कि बाबा हरभजन सिंह मरने के बाद भी अपना कर्तव्य निभाते हैं और चीन की सभी गतिविधियों पर नजर रखते हैं और समय-समय पर सैनिकों को सतर्क करते रहते हैं। जिससे हरभजन सिंह के प्रति लोगों का विश्वास इतना बढ़ गया, हरभजन सिंह को भी हर किसी की तरह सेना द्वारा वेतन, दो महीने की छुट्टी आदि जैसी सुविधाएं दी गईं। लेकिन अब वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जिसके कारण उन्हें मरणोपरांत भारतीय सेना द्वारा कैप्टन की उपाधि से सम्मानित किया गया। हमारे लिए त्योहार कोई मायने नहीं रखते। देशवासियों की खुशी में ही हमारी खुशी है। मैं सभी छात्रों से आग्रह करता हूं कि वे अपना कीमती समय देश की सेवा में लगाएं। पबजी गेम में न खोएं, बल्कि अपना ध्यान पढ़ाई पर लगाएं। आप अपने करियर के लिए कोई भी क्षेत्र अपना लें, लेकिन फौजी सेवा में जाने का मजा ही कुछ और है। मनुष्य को इस क्षेत्र में अद्वितीय अनुभव का लाभ मिलता है। शिक्षा मनुष्य का तीसरा नेत्र है, इसका सदुपयोग करें। छात्रों को शिक्षकों के बताए मार्ग पर चलने की सलाह देते हुए अपनी मर्यादा बनाए रखने की बात कही। श्री पवन कुमार निषाद, (अखिल भारतीय भूतपूर्व सैनिक परिषद, महासचिव) ने सेना के विभिन्न रूपों और कार्यक्षेत्रों का वर्णन करते हुए नववर्ष की कामना की। उन्होंने कहा कि हम भारतीयों में कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना कर भारत माता की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहने का जज्बा होना चाहिए। अग्निवीर परियोजना के लिए जागरूक करते हुए कहा कि किसी भी क्षेत्र में ईमानदारी और निष्ठा की सख्त जरूरत होती है, जो आप सभी में दिखाई देता है। उन्होंने छात्रों में दिखाए गए अनुशासन के प्रति प्रेम की सराहना की।
कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन सुश्री श्रिया और श्रीमती रेणुका काले ने किया और धन्यवाद ज्ञापन टी. श्रीनिवास ने किया।
इस अवसर पर कमलजीत अरोरा, अध्यक्ष, पुष्कल अरोरा, निदेशक, प्रशासक, सुनील शर्मा, शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।
