
एलॅन्स स्कूल में विश्व हिंदी दिवस का आयोजन
दिनेश दुबे 9425523689
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एलॅन्स स्कूल में विश्व हिन्दी दिवस पर अनेक साहित्यिक क्रियाकलाप का हुवा आयोजन
बेमेतरा — – एलॅन्स पब्लिक स्कूल बेमेतरा में विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर साहित्यिक क्रियाकलाप – काव्य पाठ, भाषण का आयोजन किया गया।
समारोह को संबोधित करते हुए स्कूल प्रबंधन के अध्यक्ष कमलजीत अरोरा ने कहा कि ’’किसी भी देश में सबसे अधिक बोली एवं समझी जाने वाली भाषा ही वहाँ की राष्ट्रभाषा होती है। प्रत्येक राष्ट्र का अपना स्वतंत्र अस्तित्व होता है, उसमें अनेक जातियों, धर्मों एवं भाषाओं के लोग रहते हैं। अतः राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ बनाने के लिए एक ऐसी भाषा की आवश्यकता होती है, जिसका प्रयोग सभी नागरिक कर सकें तथा राष्ट्र के सभी सरकारी कार्य उसी के माध्यम से किए जा सकें। ऐसी व्यापक भाषा ही राष्ट्रभाषा कही जाती है। दूसरे शब्दों में राष्ट्रभाषा से तात्पर्य है – किसी राष्ट्र की जनता की भाषा।’’
प्राचार्य डॉ सत्यजीत होता ने कहा कि ’’संसार में मानव ही सबसे अधिक सौभाग्यशाली हैं, कि उसे अपनी बात कहने के लिए भाषा का वरदान मिला है। प्रत्येक मनुष्य अपने भावों की अभिव्यक्ति किसी न किसी भाषा के माध्यम से ही करता है। भाषा के अभाव में न तो किसी सामाजिक परिवेश की कल्पना की जा सकती है और न ही सामाजिक व राष्ट्रीय प्रगति की। साहित्य, कला, विज्ञान और दर्शन सभी का आधार भाषा ही है। किसी भी देश के निवासियों में राष्ट्रीय एकता की भावना के विकास और पारस्परिक संपर्क के लिए एक ऐसी भाषा अवश्य होनी चाहिए, जिसका व्यवहार राष्ट्रीय स्तर पर किया जा सके। मनुष्य के मानसिक तथा बौद्धिक विकास के लिए भी राष्ट्रभाषा आवश्यक है। मनुष्य चाहे जितनी भी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर ले परन्तु अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए उसे अपनी मातृ भाषा की शरण लेनी ही पड़ती है। इससे उसे मानसिक संतोष का अनुभव होता है।’’ उन्होंने विश्व गुरु रवींद्र नाथ टैगोर के हवाले से कहा कि मातृभाषा मां के दूध की तरह होती है जैसे मां का दूध बच्चे को पोषण देता है उसी तरह मातृभाषा नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना का पोषण करती है। उन्होंने हिंदी भाषा की सरलता और व्याकरण की प्रशंसा की।
डॉ जागेन्द्र कुमार कुलमित्र ने कहा कि ’’स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश के सामने अनेक प्रकार की समस्याएँ विकराल रूप लिए हुए थी। उन समस्याओं में राष्ट्रभाषा की समस्या भी थी। कानून द्वारा भी इस समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता क्यांकि भारत एक विशाल देश है और इसमें अनेक भाषाओं को बोलने वाले व्यक्ति निवास करते हैं। अतः किसी न किसी स्थान से कोई न कोई विरोध राष्ट्रभाषा के राष्ट्रीय प्रसार में बाधा उत्पन्न करता है। अपने ही देश वासियों के विरोध के कारण भारत में राष्ट्रभाषा की समस्या सबसे जटिल समस्या बन गयी है। ’’
हिन्दी विभाग से शिक्षिका श्रीमती पुष्पलता पटले ने विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर पिता को समर्पित स्वरचित कविता ’’पिता क्या है?’’ का सस्वर वाचन किया। तथा विद्यार्थी अमित भास्कर (कक्षा 9वीं), आकृति दास , (कक्षा 6वीं) का कविता पाठन, श्रेया परिहार (कक्षा 6वीं) ने पहेलियाँ, एवं नीर मेश्राम (कक्षा 5वीं), मृगांक स्वाईं (कक्षा 7वी) का दोहा वाचन प्रशंसनीय रहा।
उपरोक्त सभी साहित्यिक कार्यक्रम प्रातः कालीन प्रार्थना सभा में आयोजित की गई।
समारोह में स्कूल डायरेक्टर पुष्कल अरोरा, स्कूल प्रशासक सुनील शर्मा, रेणूका काले एवं शिक्षक – शिक्षिकाएँ तथा विद्यार्थी उपस्थित थे।