
ऐसा करते उस मां के हाथ क्यों नहीं कांपे…पढ़िए पूरी खबर
राजनांदगांव। कहते हैं मां बनना हर महिला का सपना होता है। ईश्वर जिस महिला को मां बनने का गौरव प्रदान करता है, समाज उस महिला से उम्मीद करता है कि वह अपने कोख जाए का लालन-पालन करे। और हमने समाज में देखा भी यही है। मां अपने बच्चे को सीने से लगाकर रखती है। बच्चे का दुख मां को दुखी करता है, वहीं बच्चे की किलकारी मां के मन में मातृत्व की ऐसी लहर पैदा करती है कि उसका चेहरा खिल उठता है। शायद इसीलिए कहा गया है कि पूत कपूत निकल सकता है, पर माता कुमाता नहीं होती। लेकिन इस कथ्य को झुठलाती एक ऐसी तस्वीर हम यहां आपको दिखाने जा रहे हैं, जिसे देखकर पत्थर दिल भी पिघल जाए… कलेजा मुंह को आ जाए…। मंगलवार को छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव जिले के बोथली गांव के पास शिवनाथ नदी में ग्रामीणों ने एक हृदय विदारक दृश्य देखा। कुछ ग्रामीण जब नदी किनारे पहुंचे तो उन्होंने देखा कि एक गोरा-चिट्टा नवजात नदी के पानी में पेट के बल लेटा पड़ा है। ग्रामीणों को माजरा समझते देर नहीं लगी। ग्रामीणों के मुंह से अनायास ही उस निष्ठुर मां के लिए अपशब्द निकलने लगे, जिसने इतने सुंदर बच्चे को नदी में बहा दिया था। थोड़ी देर तक लानत-मलानत के बाद ग्रामीण जब थोड़ा संभले तो उन्होंने पुलिस को इस वाकये की सूचना दी। सूचना पाते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई। अब लालबाग पुलिस यह पता लगाने की कोशिश में जुट गई है कि ऐसी कुमाता क्या इसी इलाके की है! अथवा बच्चा कहीं और से नदी के पानी में बहाया गया है। उल्लेखनीय है कि राजनांदगांव जिले में सप्ताहभर के भीतर यह इस तरह की दूसरी घटना है।