
कमार जनजाति को नहीं मिल रहा है शासकीय योजनाओं का लाभ
भूपेन्द्र गोस्वामी
आपकी आवाज
कमार जनजाति को आवास योजना ना लाभ नही मिल पाने से हाथियों का बढ़ा खतरा
गरियाबंद = आदिवासी बहुल्य होने के बाद भी कमार जनजाति को आवास योजना का लाभ नही मिल पा रहे है, कमार जनजाति के लोग अक्सर जंगलों मे निवासरत होते है और कच्चे मकानों व झोफड़ी मे रह कर जीवन यापन करते है ,वही जिले मे पिछले चार वर्षों से हाथीयों का आगमन हुआ है और कई घटनाएं भी घट चूकी है कुछ लोगों का जान भी जा चुकी है इस घटना को देखते हुए शासन प्रशासन कि ध्यान आकर्षित होना चाहिए कि कमार जनजाति के लोगों को जो जंगलों मे निवासरत है उनको पक्की आवास योजना का पहली प्रथमिकता देनी चाहिए जिससे हाथियों का खतरा नहो और प्रधानमंत्री आवास योजना जो विशेष कमार जनजाति ,आदिवासी लोगों को पहला प्रथमिकता देने के लिए प्रवधान भी है,लेकिन यहां पर इस योजना का लाभ कमार जनजाति को अभी तक नहीं मिल पा रहे हैं। जो झुग्गी-झोपडी में रहनें को मजबूर है, इसके अलावा कच्चे मकान बनाकर रहने पर मजबूर है।समाज सेवी मनोज पटेल और हमारे संवाददाता तेजराम ध्रुव ने लगातार कमार जनजाति के लोगों से लगातार संम्पर्क कर कमार जाति के सहयोग निरंतर किया जा रहे है।छुरा विकाशखण्ड के ग्राम पंचायत ग्राम पंचायत कनेसर के आश्रित ग्राम केड़ीआम जामपानी पारा के कमार जनजाति के लोगों से मुलाकात कर हाल चाल जाना जिस पर पता चला कि आय दिन हाथियों का आना जाना लगा रहता हैं जिससे कमार जनजाति का जान पर खतरा बना रहता हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना झुग्गी-झोपडी में रहते हैं या कच्चे घर बनाकर रहते हैं उनको पक्के मकान/घर दिलाना ही प्रधानमंत्री आवास योजना का उददेश्य है। लेकिन यहां पर इस योजना का लाभ कमार जनजाति को अभी तक नहीं मिल पा रहे हैं। कमार जनजाति लोगों का जीवन जटिल परिस्थितियों के कारण के पक्का मकान का निर्माण नहीं कर पाते और ना ही शासन कोई सुध ले रहे हैं।जिससे कमार जनजातियों का पक्का मकान रहने का सपना पूरा नहीं हो पाता है ।जिस पर समाज सेवी मनोज पटेल ने आर्थिक प्रगति और सामाजिक न्याय हेतु जरूरी है शासन से अपील की गई हैं। इस बीच समाज सेवी रेखराम ध्रुव उपस्थित थे