
शास्त्रों में कई चीजों के बारे में बताया गया है और इन्ही में शामिल है देवों के देव महादेव शिव का आभूषण नाग। आप जानते ही होंगे नाग जाति शिव जी को परम प्रिय है। केवल यही नहीं बल्कि नागों के बगैर शिव के भौतिक शरीर की कल्पना ही नहीं की जा सकती। आप सभी जानते ही होंगे शिव जी ने नागों को अपना कर वह गौरव प्रदान किया, जो किसी दूसरे को प्राप्त नहीं हुआ। हालाँकि क्या आप जानते हैं शिव जी के गले में नाग आया कैसे? अगर नहीं जानते हैं तो आज हम इसी से जुड़ा रोचक प्रसंग बताने जा रहे हैं।
रोचक प्रसंग – बहुत पहले की बात है। गांव में एक नदी थी। नदी के रास्ते पर एक विषैला नाग रहता था जो अक्सर लोगों को काट लिया करता था। नाग के आतंक से बचाव के लिए व्यक्ति समूह में नदी पर नहाने जाया करते थे, फिर भी वह तरकीब से एक-दो को अपना शिकार बना ही लेता था। एक दिन कोई महात्मा नदी की ओर जा रहे थे। रास्ते में वही नाग मिला।
वह महात्मा को डंसने वाला ही था कि अकस्मात रुक गया। महात्मा हंसते हुए बोले, ”तुम मुझे काट कर आगे क्यों नहीं बढ़ते?” परन्तु वह महात्मा के चरणों में बारी-बारी से नमन करने लगा। यह देख कर महात्मा ने कहा, ”नागराज! पूर्वजन्म के किसी पाप के कारण ही तुम्हें यह योनि मिली है परन्तु तुम इस योनि में भी प्राणियों को काटोगे, तो तुम्हें नरक में जगह मिलेगी। यदि तुम नरक से छुटकारा पाना चाहते हो तो आज से किसी भी प्राणी को काटना छोड़ दो।”