
आप की आवाज
नहीं मिला कोई नॉकरी रोजी -रोटी के लिए बच्चों को पढ़ा रहा टिव्सन …
लक्ष्मी नारायण लहरे
कोसीर =पढ़ लिख विद्यार्थी अपनी जीवन को जीने के लिए योग्यताओं की कड़ी में अच्छी से अच्छी शिक्षा ग्रहण करता है ताकि वह कुछ बन सके सरकारी या फिर प्रायवेट नॉकरी कर सके पर जब ऐसा नहीं होता है तब वह अपने -रोजी रोटी के लिए कुछ न कुछ काम धंधा करने की सोंचता है और वह कोई भी काम कर सकता है ।बेरोजगारी से आज भी युवा वर्ग जूझ रहा है ।कहीं न कहीं अपने परिवार को लेकर चिंतित दिखाई देता है ।खास कर पढ़े लिए युवा के लिए मजदूरी करना और भी मुश्किल हो जाता है कभी वह पढ़ाई के समय खेत -खार या कुछ काम नहीं सीखा होता है और वह जब अपने जीवन को जीना पड़ता है तब वह मुश्किल के दौर से गुजरता है । उसके लिए दो वक्त की रोटी भी मुश्किल हो जाती है
दूजे राम लहरे से एक मुलाकात में उनके जीवन के कुछ पहलुओं पर चर्चा हुई तो उन्होंने अपने जीवन की स्थिति को अवगत कराते हुये बताया कि पढ़ लिख कर बेरोजगार घूमना पड़े तो यह पल बहुत ही दुख का पल होता है तब युवा अपने जीवन में कुछ न कुछ करने की सोंचाता है जिससे उसके और उसके परिवार का जीवन गुजर बसर हो सके । कोसीर निवासी दूजे राम लहरे अपने मामा गांव बघौद में पढ़ते -पढ़ते वहीं रहने लगा और अपने घर वापस नहीं आ पाया रोजी -रोटी की तलाश ने उसे वहीं का बना दिया । आज अपने मामा गांव में विगत 20 वर्षों से अपने आसपास के बच्चों को शिक्षा देता है ।पढ़ाने -लिखाने में वह अपने जीवन गुजार रहा है टिव्सन देकर बच्चों को अच्छी शिक्षा देता है और उस कार्य से जो सहयोग होता है उससे अपना जीवन उत्साह से जीता है । उनकी एक अच्छी सोंच है वह काम नहीं कर सकता पर बच्चों को समय देकर उन्हें नया राह दिखा रहा है ।शिक्षक दिवस पर उनकी यह कहानी बहुतों के लिए एक पैगाम का विषय है ।अपने जीवन में युवा वर्ग को अब रोजगार मूलक शिक्षा की जरूरत है । दूजे राम चाहता है कि सामाजिक स्तर से सहयोग होगी तो बच्चों और भी अच्छी शिक्षा दी जा सकती है ।