
जिम्मेदार अधिकारी रहते है कार्यालय से नदारत
बिलासपुर—:नूतन चौक सरकंडा स्थित क़ृषि यंत्रिकी विभाग बिलासपुर एवं सरगुजा संभाग का कार्यालय है जो लगभग दो एकड़ मे फैला हुवा जहाँ विभिन्न प्रकार के क़ृषि यंत्र डोजर ट्रैक्टर हार्वेस्टिंग मशीन एवं अन्य छोटे बड़े वाहन इस कार्यालय के प्रांगण मे बने शेड यार्ड मे खड़े मिलेंगे जो कि अधिकतर ख़राब क्षतिग्रस्त होने के कारण स्क्रैप मे तब्दील हो चुकी है जिसमे से कई यंत्रो को नीलामी केलिए प्रस्तावित किया गया है. बिलासपुर जिला का सबसे बड़ा विभाग जिसका दायरा बिलासपुर संभाग के साथ सरगुजा संभाग भी है जिसमे अनगिनत किसानो को लाभवान्वित करने केलिए बनाया गया है किन्तु इस विभाग पास संसाधन इतना कम है जिससे यह विचारणीय है कि कैसे इतने बड़े दायरे मे काम करने वाला विभाग जो कि सीधा कृषक और क़ृषि उत्थान के उद्देश्यों को पूरा करने के दृष्टिकोण से संचालित किया जाता है किन्तु विभाग के गतिविधियां संदेहास्पद लगता है. इतना बड़ा कार्यक्षेत्र होते हुए और समुचित व्यवस्था सिर्फ कागजो पर दीखता है मौके पर कुछ भी नहीं है

इस पुरे अव्यवस्था का एक छोटा सा उदाहरण से समझ लिया जाए कि इस विभाग के कुल तीन ट्रैक्टर उपलब्ध है जो कि किसानो को सरकारी दर पर उपलब्ध कराई जाती है किन्तु इतने कम ट्रैक्टर से कैसे दो बड़े संभाग के किसानो को इसका लाभ मिलता होगा यह बड़ा सवाल है और रही बात क़ृषि संयंत्रो पर छूट सब्सिडी दिलाने कि तो उसमे भी सिर्फ बड़े किसानो को ही लाभ मिलेगा जिसकी यंत्र खरीदने कि क्षमता 15 लाख या उससे ऊपर होगी और सिर्फ उसी किसानो को छूट सब्सिडी का लाभ मिलेगा जो वेंडर इस विभाग मे पंजीकृत होगा मतलब कि यहाँ भी मोनोपोली है जिससे किसानो मे मायूसी है. उक्त संबंध मे जानकारी लेने क़ृषि यंत्री जोगेंद्र लाल जी से कार्यालय मे संपर्क किया गया कार्यालय मे अनुपस्थित होने के कारण फोन पर संपर्क किया गया किन्तु उनका फोन कॉल रिसीव नहीं हुवा. कार्यालय से जानकारी मिली है कि कल कोनी रोड़ स्थित क़ृषि महाविद्यालय मे विभाग द्वारा प्रदर्शनी लगाकर किसानो को संयंत्रो जानकारी दी जाएगी जहाँ पर दोनों बड़े संभाग के किसानो का अगमन होना संभावित है. प्रचार प्रसार का भी भेद कल के प्रदर्शनी मे खुल सकती है. ध्यान देने वाली बात है कि संयंत्र क्रय करते समय किसान को उक्त संयंत्र का पूरा राशि संबंधित वेंडर को देना होगा जो कि बैंक लोन के माध्यम से संभव है उसके बाद सब्सिडी कि राशि बैंक को अदा कि जाती है जिसकी कोई समय सीमा तय नहीं है. इस बिच किसानो को बैंक लोन का किश्त चुकाना होगा. क़ृषि यंत्रिकी विभाग सब्सिडी वाले फ़ाइल को प्रक्रिया मे लिया जाता है और फिर शुरू होता है किसान का विभाग का चक्कर और शिष्टाचार का दौर अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसानो को मिलने वाली सब्सिडी का कितना लाभ मिलता होगा ❓

आइये समझते है कि कृषि यंत्री विभाग का काम और जिम्मेदारीयां क्या होती है-:
किसानों को आधुनिक कृषि उपकरण उपलब्ध कराना, उनकी रखरखाव और संचालन के बारे में प्रशिक्षित करना है। यह विभाग कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं और सब्सिडी प्रदान करता है, जैसे कि कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना, फार्म मशीनरी बैंक और उपकरणों के वितरण को बढ़ावा देना। इसके अतिरिक्त, यह कृषि मशीनों और उपकरणों के डिजाइन और विकास में भी योगदान देता है ताकि खेतों की कार्यक्षमता बढ़ाई जा सके।
मुख्य कार्य
- आधुनिक उपकरणों का वितरण: किसानों को आधुनिक कृषि उपकरण खरीदने में मदद करना और सब्सिडी प्रदान करना।
- किराए पर उपकरण उपलब्ध कराना: किसानों को उचित दरों पर कृषि उपकरण किराए पर उपलब्ध कराना, खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए, छत्तीसगढ़ कृषि विभाग की वेबसाइट के अनुसार।
- प्रशिक्षण और जागरूकता: किसानों को नए कृषि उपकरणों के उपयोग और रखरखाव के बारे में प्रशिक्षण देना और यंत्रीकरण के फायदे समझाना।
- अनुसंधान और विकास: कृषि में यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए नई और कुशल तकनीकों और मशीनों के अनुसंधान, विकास और प्रदर्शन को बढ़ावा देना।
- योजनाओं का कार्यान्वयन: विभिन्न केंद्रीय और राज्य स्तरीय कृषि यंत्रीकरण योजनाओं को लागू करना, जैसे कि सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाईजेशन (SMAM)।
- उपकरणों का सत्यापन: सब्सिडी पर दिए गए उपकरणों की भौतिक जांच और सत्यापन करना।
- नई योजना का प्रचार प्रसार करना
 
					











