
कांस फेस्टिवल में प्रदर्शित होगी छत्तीसगढ़िया फिल्म ‘बैलाडीला’, डायरेक्टर से लेकर कहानी तक जानें सबकुछ
रायपुर. छत्तीसगढ़ के सिनेमा जगत के लिए बड़ी खबर है. छत्तीसगढ़िया फिल्म ‘बैलाडीला’ विश्व प्रसिद्ध कांस फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित की जाएगी. देश भर की पांच फिल्मों का चयन कांस फेस्टिवल के लिए किया गया है, जिसमें छत्तीसगढ़िया फिल्म बैलाडीला भी शामिल है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के टेंगण माड़ा गांव के रहने वाले शैलेन्द्र साहू ने यह फिल्म बनाई है. फिल्म करीब डेढ़ घंटे की है. शैलेन्द्र साहू ने बताया कि नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने बैलाडीजा फिल्म का चयन किया है.
शैलेन्द्र साहू ने बताया कि एनएफडसी ने भारत से पांच फिल्में प्रतिष्ठित कांस फिल्म फेस्टिवल के लिए भेजी हैं, जिसमें से एक बैलाडिला भी है. फिल्म में हिंदी के साथ ही छत्तीसगढ़ी बोली का भी खूब प्रयोग किया गया है. साल 2021 के मार्च और अप्रैल महीने में शैलेन्द्र ने इस फिल्म की शूटिंग बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला में की थी. हालांकि वे फिल्म की शूटिंग के महीनों पहले से ही इसकी तैयारी में जुटे थे. शैलेन्द्र ने बताया कि फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. बैलाडीला नक्सल प्रभावित इलाका है. ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से अनुमति के साथ ही अन्य समस्याएं भी थीं.
फिल्म में निर्माता के जीवन का हिस्सा
शैलेन्द्र साहू के भाई राघवेन्द्र साहू ने बताया कि शैलेन्द्र बिलासपुर जिले के छोटे से गांव टेंगनमाडा जिसे छत्तीसगढ़ के नक्शे में आप ढूंढ भी नहीं पाएंगे वहां से निकलकर बैलाडीला, बचेली में स्कूलिंग और फिर खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से लेकर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय दिल्ली में मास कॉम की पढ़ाई के दौरान चित्रकारी, कविता, पटकथा लेखन से लेकर बेहतरीन फोटोग्राफी, सिनेमेटोग्राफी और फिल्म डायरेक्शन तक लगातार 20 सालों से प्रयासरत है. बैलाडीला की कहानी का बहुत सा हिस्सा शैलेन्द्र के खुद के जीवन के हिस्सा है, जिसे बहुत खूबसूरती से उन्होंनेअपनी फिल्म में पिरोया है.
क्राउड फंडिंग से बनी फिल्म
राघवेन्द्र बताते हैं कि फिल्म की शूटिंग के दौरान शैलेन्द्र के सामने कई तरह की मुश्किलें भी आईं. सबसे बड़ी समस्या के रूप में आर्थिक समस्या थी. फिल्म के शूटिंग के लिए शैलेन्द्र ने क्राउड फंडिंग का सहारा लिया. दोस्तों, चाहने जानने वालों, रिश्तेदारों ने भी मदद की. शैलेन्द्र बताते हैं कि फिल्म की शूटिंग शुरू करने के लिए जब दंतेवाड़ा और बैलाडिला पहुंचा तो जिला प्रशासन ने शुरुआत में अनुमति नहीं दी. बस्तर के बाहर फिल्म शूट करने की हिदायतें भी मिलीं, लेकिन कहानी बैलाडीला की है और बैलाडीला सिर्फ फिल्म का टाइटल ही नहीं है बल्कि खुद भी पात्र की तरह मौजूद है. ऐसे में बैलाडीला के बाहर तो फिल्म शूट करने का सवाल ही नहीं था. इस फिल्म में लोकल कलाकारों ने काम किया है.