कोरोना कर रहा दिमाग पर वार: हल्‍के में न लें सरदर्द, ये है न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर

नई दिल्‍ली. महामारी घोषित हो चुका कोरोना वायरस न सिर्फ लोगों को संक्रमित कर रहा है बल्कि इससे उबरने वाले लोगों के शरीर के लगभग हर अंग में कुछ न कुछ परेशानी छोड़कर जा रहा है. फेफड़ों (Lungs) पर असर के बाद लांग कोविड (Long Covid) के रूप में शरीर के बाकी अंगों को नुकसान पहुंचा रहा कोरोना लोगों के दिमाग पर भी वार कर रहा है. भारत में कोविड से ठीक होने वाले लोगों में दिमाग और तंत्रिका (Brain and Neuro) संबंधी कई बीमारियां सामने आ रही हैं.

देश में कोरोना से ठीक हुए मरीजों में बड़ी संख्‍या में न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स (Neurological Disorders) की समस्‍या सामने आ रही है. खास बात है कि कई डिसऑर्डर्स इतने सामान्‍य लक्षणों के साथ हैं कि ये पहचानना भी मुश्किल हो जाता है कि यह कोरोना के बाद पैदा हुआ डिसऑर्डर है. सरदर्द (Headache) इन्‍हीं में से एक है. विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर होने वाला सरदर्द एक न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हो सकता है.

दिल्‍ली ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के न्‍यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने न्‍यूज18 हिंदी से बातचीत में बताया कि कोरोना आने के बाद विदेशों में न्‍यूरो संबंधी समस्‍याएं (Neurological Problems) सबसे पहले देखी गईं लेकिन अब भारत में भी कोरोना से उबरने वाले लोगों में न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स के मामले काफी सामने आ रहे हैं.

ब्रेन फॉग (Brain Fog) के मामले सबसे ज्‍यादा

डॉ. मंजरी कहती हैं कि ब्रेन फॉग या मेमोरी फॉग के मामले काफी ज्‍यादा सामने आ रहे हैं. जिसमें मरीज की याददाश्‍त कमजोर पड़ जाती है. उसे हिसाब-किताब लगाने में भी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है. इसमें मरीज के दिमाग के प्रमुख फंक्‍शन जैसे सोचना, समझना और याद रखना डिस्‍टर्ब हो जाते हैं. इसके साथ ही हल्‍के दौरे पड़ने की भी समस्‍या पैदा हो जाती है. इसमें केंद्रीय तंत्रिका ठीक तरह से काम नहीं करती है. मानसिक थकान और दुविधा की स्थिति बनी रहती है. यह निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित कर देता है.

डॉ. कहती हैं कि भारत में कोरोना से ठीक हुए मरीजों में ये शिकायत देखने को मिल रही है.

सरदर्द को हल्‍के में न लेंये हो सकता है डिसऑर्डर

डॉ. त्रिपाठी कहती हैं कि कोरोना होने के बाद अगर आप ठीक हो गए हैं और उसके बावजूद आपको सरदर्द है और लगातार बना हुआ है तो इसे सिर्फ सरदर्द न समझें. लगातार रहने वाला तेज सरदर्द न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हो सकता है. यह कोरोना का ब्रेन या मस्तिष्‍क की नसों पर पड़ा प्रभाव भी हो सकता है जिसकी वजह से लगातार सरदर्द बना हुआ है. ऐसे में इसकी जांच कराने के साथ ही इसका इलाज किया जाना बहुत जरूरी है. कोरोना के बाद सरदर्द के मामले बहुतायत में सामने आ रहे हैं.

कोविड के दौरान और कोविड के बाद लकवे के मरीज बढ़े

डॉ. बताती हैं कि दिल्‍ली एम्‍स में कई ऐसे क्रिटिकल मामले भी सामने आए जिनमें मरीजों को कोविड के दौरान ही लकवा (Paralysis) मार गया. वहीं कुछ ऐसे भी थे जो कोविड से उबरने के बाद लकवे की चपेट में आ गए. इस दौरान मरीजों की खून की नली या तो ब्‍लॉक हो गई या फट गई या फिर खून जमने की समस्‍या हुई जो वीनस स्‍ट्रोक्‍स भी कहलाती है. इस दौरान नसों में खून जम जाता है जिससे लकवा होता है.

कोरोना के बाद इन न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स के बढ़े मरीज

मिर्गी का बढ़ जाना या मिर्गी शुरू हो जाना

कोविड के मरीजों में इंसेफेलाइटिस होने के बाद दौरे और बेहोशी समस्‍या

नसों का छिल जाना यानी डीमाइलीनेशन

जीबी सिंड्रोम

सर की नसों में दिक्‍कत

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