कोर्ट ने कहा बच्चों के मौलिक अधिकारों के लिए माता-पिता की भूमिका निभा सकती है अदालत
पारिवारिक परिस्थितियों के कारण कोई भी बच्चा शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित न हो, इसलिए अदालत यह सुनिश्चित करने के लिए एक बच्चे के माता-पिता की भूमिका निभा सकती है।
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी दिल्ली पुलिस को आठ साल के बच्चे को स्कूल में दाखिला सुविधा प्रदान कराने का निर्देश देते हुए की है। बच्चे के माता-पिता हत्या के आरोप में न्यायिक हिरासत में हैं। अदालत ने कहा, एक शिक्षित बच्चा पूरे परिवार को शिक्षित करता है और राष्ट्र के लिए एक संपत्ति बन जाता है।
न्यायमूर्ति स्वर्णा कांता शर्मा ने बच्चे की मां की जमानत पर सुनवाई करते हुए कहा कि वर्तमान मामले में अदालत को बच्चे के लिए मूकबधिर की तरह आवाज बनना है और उसके भविष्य की रक्षा के लिए संविधान के तहत परिकल्पित अधिकारों को कायम रखने के लिए हस्तक्षेप करना जरूरी है। अदालत प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों और इस मामले में बच्चे की शिक्षा के अधिकार को लागू करने के लिए बाध्य है। अदालत ने कहा कि एक बच्चे को माता-पिता के अपराध का परिणाम भुगतना नहीं चाहिए, क्योंकि उसके माता-पिता एक अपराध के लिए न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में ट्रायल कोर्ट को अपना फैसला सुनाना है।
अदालत ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया, ताकि बच्चे का वर्तमान शैक्षणिक वर्ष खराब न हो। अदालत ने स्थानीय थानाध्यक्ष को निर्देश दिया कि वह बच्चे का उसी स्कूल में दाखिला करवाएं जहां उसका बड़ा भाई पहले से पढ़ रहा है। स्कूल के प्रिंसिपल को भी बच्चे के प्रवेश के लिए पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया है। अदालत ने 10 दिन में अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत के फैसले पर संतुष्टी जताते हुए महिला ने अपनी जमानत याचिका वापस ले ली।
दाखिले के लिए मां ने मांगी थी जमानत
आरोपी महिला ने बच्चे को स्कूल में दाखिल कराने के लिए दो हफ्ते की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी। कहा कि वह और उनके पति जुलाई 2021 से न्यायिक हिरासत में हैं और उनकी उपस्थिति के बिना उनकी बेटी को स्कूल में दाखिला नहीं दिया जा सकता है। जमानत अर्जी पहले निचली अदालत ने खारिज कर दी थी, जिसमें कहा था कि परिस्थितियां जमानत देने के लिए बाध्य नहीं हैं। जमानत पर आपत्ति जता दिल्ली पुलिस ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि स्कूल में मां की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं है और प्रवेश तब दिया जा सकता है जब बच्चे के पास किसी सरकारी संस्थान से उसकी जन्मतिथि दर्शाने वाला प्रमाण पत्र हो। इसके अलावा बच्चे के अभिभावक भी दाखिला करवा सकते हैं।