क्यों भारत के फैसले से कम हो सकती है रिश्तों की मिठास, जानें दुनिया में क्या होगा असर?

केंद्र सरकार ने चीनी निर्यात पर एक जून से पाबंदी लगाने का फैसला किया है। दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक और निर्यातक के इस फैसले ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। मोदी सरकार का यह फैसला देश में महंगाई को रोकने के मकसद से लिया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इससे आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ने का खतरा पैदा है। गेहूं के बाद चीनी के निर्यात को सीमित करने से भारत और दूसरे देशों के बीच रिश्ते खराब होने की भी आशंका है।

इस बीच अमर उजाला आपको बता रहा है कि आखिर क्यों भारत का चीनी उत्पादन का आंकड़ा क्या रहा है? देश से कितनी चीनी विदेश निर्यात की जाती है? क्यों भारत ने चीनी के निर्यात को बंद करने का फैसला किया? इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभाव किस देश पर पड़ेगा? और भारत में कैसे चीनी की खपत बीते सालों में तेजी से बढ़ी है?

चीनी निर्यात पर किस तरह के प्रतिबंध लागू होंगे?
सरकार ने चीनी निर्यात की अधिकतम सीमा 1 करोड़ टन तय कर दी है। पिछले छह वर्षों में ये पहला मौका है जब चीनी के निर्यात पर इस तरह की पाबंदी लगी है। इससे पहले बिना सरकार की मंजूरी के भी चीनी को एक सीमा तक बिना किसी सरचार्ज के निर्यात किया जा सकता था। सरकार ने इसी मुफ्त निर्यात को सीमित करने का फैसला किया है। आगे किसी भी तरह के चीनी के निर्यात के लिए सरकार से मंजूरी की जरूरत होगी।

भारत में चीनी का उत्पादन कितना, कितनी शक्कर निर्यात हुई?
अक्तूबर 2021 से सितंबर 2022 के बीच भारत अनुमान के तहत 355 लाख टन चीनी का उत्पादन कर सकता है। चीनी मिलों को अब तक 90 लाख टन चीनी निर्यात का कॉन्ट्रैक्ट मिल चुका है। इसमें से 78 लाख टन को पहले ही भेजा जा चुका है। अक्तूबर 2020 से सितंबर 2021 के बीच कुल चीनी निर्यात करीब 70 लाख टन रहा था। यानी 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में चीनी निर्यात अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ चुका है। इसी के चलते केंद्र सरकार ने आगे होने वाले निर्यात पर निगरानी की तैयारी की और इसे 100 लाख टन के ऊपर नहीं जाने देने का लक्ष्य रखा।

सरकार ने चीनी निर्यात को सीमित करने का फैसला क्यों किया?
केंद्र सरकार फिलहाल देश में खाद्य सामग्रियों में जारी महंगाई को लेकर चिंतित है। देश में चीनी की कीमतें बीते दिनों में नहीं बढ़ी हैं, लेकिन सरकार एहतियात के तौर पर इसके निर्यात पर पाबंदी लगा रही है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार निर्यात सीमा तय करने के बजाय इन पर नजर रखकर भी चीनी का एक्सपोर्ट तय कर सकती थी।

भारत के इस कदम का दुनिया पर क्या असर?
भारत का फैसला पूरी दुनिया के चीनी बाजार में खलबली मचा सकता है। 2018 से लेकर 2020 के बीच जिन देशों ने भारत से चीनी का सबसे ज्यादा आयात किया, उनमें अमेरिका और चीन जैसे देश शामिल हैं। जहां 2018 में 13.8 लाख टन और 2019 में 14.5 लाख टन चीनी का निर्यात कर इटली शक्कर का सबसे बड़ा आयातक था, तो वहीं 2020 में सूडान 14.6 लाख टन चीनी का आयात कर टॉप पर था। 2020 में चीनी आयात करने वाले टॉप-5 देशों में इटली ने 13.1 लाख टन, अमेरिका ने 11.8 लाख टन, चीन ने 9.9 लाख टन और स्पेन ने 8.9 लाख टन चीनी आयात की थी।

दुनिया में चीनी की खपत कितनी?
भारत चीनी का सबसे बड़ा निर्यातक होने के साथ ही इसका सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। पिछले एक दशक में ही भारत में चीनी की खपत 18 फीसदी तक बढ़ी है। 2020-21 की बात करें तो भारत में सबसे ज्यादा 280 लाख टन चीनी की खपत रही। यूरोपीय संघ 166 लाख टन की खपत के साथ दूसरे नंबर पर रहा। तीसरे नंबर 155 लाख टन की खपत के साथ चीन का नंबर पर है। चीनी की 110 लाख टन की खपत के साथ अमेरिका चौथे और 102 लाख टन की खपत के साथ ब्राजील पांचवें नंबर पर है।

भारत में चीनी उत्पादन में कौन से राज्य टॉप-5 में?
भारत में 2020 में चीनी के उत्पादन में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की रही। इस राज्य से 110.6 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ, जबकि दूसरा नंबर महाराष्ट्र का है, जहां से 106.5 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। 44.7 लाख टन के साथ कर्नाटक तीसरे स्थान पर, 10.5 लाख टन के साथ गुजरात चौथे स्थान पर और 8.8 लाख टन के साथ तमिलनाडु चीनी उत्पादन में अग्रणी राज्य हैं।

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