एलॅन्स स्कूल में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई गई

*एलॅन्स स्कूल में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई गई*
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बेमेतरा- :- एलॅन्स पब्लिक स्कूल बेमेतरा में भारत माता के सपूत, क्रांतिकारी भारत रत्न सुभाष चंद्र बोस की जयंती पराक्रम दिवस के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।
प्राचार्य डॉ. सत्यजीत होता एवं शिक्षकों ने सुभाष चंद्र बोस के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित एवं माल्यार्पण कर पूजन किया। कक्षा-III से समरेश मोहंती, हरिओम सोनी और आदित्य घोष ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान के बारे में विचार प्रकट किए।
प्राचार्य डॉ. सत्यजीत होता ने कहा कि- “किसी भी देश के लिए स्वतंत्रता सर्वोपरि है। स्वतंत्रता संग्राम के महान उद्देश्य और युवाओं की सोई हुई आत्माओं को जगाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सुभाष जी को कोटि-कोटि नमन। श्रद्धेय स्वतंत्रता सेनानी सुभाष बाबू बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और क्रांतिकारी सोच वाले बालक थे जिनका शैक्षिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन रहस्यों से भरा था। सुभाष चन्द्र बोस क्रांतिकारी सोच के एक आदर्श महापुरूष थे। उनका सम्पूर्ण जीवन अनुकरणीय है। वह अपने आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानन्द और देशबन्धु चितरंजन दास के दर्शन से अत्यधिक प्रभावित थे। उनका राष्ट्रवादी रवैया पहली बार तब सामने आया जब प्रोफेसर ओटेन पर हमला करने के आरोप में उन्हें प्रेसीडेंसी कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया। वे माँ भारती के सच्चे भक्त थे। भारत माता की भक्ति में लीन होने के कारण उन्हें भारत माता की अदम्य संतान कहा जाता था। सुभाष बाबू ने न केवल भारतीयों बल्कि विदेशी शक्तियों और सरकारों का भी दिल जीत लिया। उनके साहस और नेतृत्व के लिए उनकी प्रशंसा की गई। उनका सम्बन्ध स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु उग्रवादी दल से था। उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया और द्वितीय विश्व युद्ध में इंग्लैंड के खिलाफ युद्ध लड़ा। सुभाष चन्द्र बोस के विचार सीमित थे। हमारे विचार साहस एवं राष्ट्रवाद से परिपूर्ण होंगे तभी हमारी बात सभी व्यक्तियों तक पहुंचेगी। उन्होंने बंगाल में हुई घटना का भी वर्णन किया। विद्रोही कवि काजी नजरूल इस्लाम, जिन्होंने अग्नि वीणा पुस्तक महान राष्ट्रीय नेता नेताजी को समर्पित की। उन्हें एक महान क्रांतिकारी नायक के रूप में चिह्नित किया। उनका व्यक्तित्व महान सेनापति के रूप में जाना जाता था। उन्होंने एक विश्वसनीय संदर्भ से यह भी कहा कि सर पीबी चक्रवर्ती उस समय कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे और पश्चिम बंगाल के कार्यवाहक राज्यपाल के रूप में भी कार्यरत थे। उन्होंने आरसी मजूमदार की किताब ए हिस्ट्री ऑफ बंगाल के प्रकाशक को एक पत्र लिखा। इस पत्र में मुख्य न्यायाधीश ने लिखा, ”जब मैं कार्यवाहक गवर्नर था, तो भारत से ब्रिटिश शासन को हटाकर हमें आजादी दिलाने वाले लॉर्ड एटली ने अपने भारत दौरे के दौरान कलकत्ता में गवर्नर के महल में दो दिन बिताए थे.” मैंने उनसे उन वास्तविक कारकों के बारे में लंबी चर्चा की, जिनके कारण अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा।”
चक्रवर्ती कहते हैं, “एटली से मेरा सीधा सवाल यह था कि चूंकि गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन काफी समय पहले ही धीमा हो गया था और 1947 में ऐसी कोई नई सम्मोहक स्थिति पैदा नहीं हुई थी जिसके लिए ब्रिटिशों को जल्दबाजी में प्रस्थान की आवश्यकता होती, तो उन्हें क्यों छोड़ना पड़ा?” न्यायमूर्ति चक्रवर्ती कहते हैं, “अपने जवाब में एटली ने कई कारण गिनाए, उनमें से प्रमुख कारण नेताजी की सैन्य गतिविधियों के परिणामस्वरूप भारतीय सेना और नौसेना कर्मियों के बीच ब्रिटिश ताज के प्रति वफादारी का कम होना था।” हिटलर ने भी सुभाष चंद्र बोस को नेताओं का नेता महानायक कहा था। एक बार रंगून के एक मुसलमान मेमन अब्दुल हबीब युसूफ मार्फनी ने उन्हें एक करोड़ रुपये दान में दिये तो नेताजी ने विनम्रतापूर्वक कहा कि तुम क्या करोगे? तब मुस्लिम ने कहा, मैं खुद आजाद हिंद फौज में शामिल होऊंगा, मेरी पत्नी और बेटी रानी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट में शामिल होंगी और छोटा बेटा आजाद हिंद की बाल सेना में शामिल होगा। भारत-पाक विभाजन को लेकर मोहम्मद अली जिन्ना और महात्मा गांधी के बीच हुई बातचीत में कहा गया था कि यदि सुभाष चंद्र बोस स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री होते तो भारत और पाकिस्तान का विभाजन नहीं होता। भारत की आजादी में सुभाष चंद्र बोस का अहम योगदान था। उन्होंने कहा कि उनका जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने प्रत्येक शिक्षक एवं विद्यार्थी से उनके पदचिन्हों पर चलने तथा निडर होकर सत्य का साथ देने की अपील की। उन्होंने “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा”, “दिल्ली चलो”, सुभाष अमर रहे, इंकलाब जिंदाबाद और जय हिंद के नारे लगाए।
इस अवसर पर कमलजीत अरोरा, चेयरमैन, पुष्कल अरोरा, स्कूल निदेशक, सुनील शर्मा, निदेशक, शिक्षक – शिक्षिकाएँ उपस्थित थे।

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