गरीब का कौन बनेगा सहारा ,कौन सुनेगा उसका दर्द

लक्ष्मी नारायण लहरे
आप की आवाज
*गरीब का कौन बनेगा सहारा ,कौन सुनेगा उसका दर्द
* खाने -पीने को पड़ गए लाले पिता का साया भी 03 साल पहले सर से  उठ गया अब जी रहे है भगवान भरोसे
कोसीर । कोसीर मुख्यालय के ग्राम कुम्हारी में एक गरीब युवक की दास्तां बड़ी अजीब है लोग यह मानने को तैयार नहीं होंगे कि 32 वर्षीय युवक कैसे भगवान भरोसे जीवन यापन कर रहा है पर यही सच है । गरीब परिवार में जन्मा छत राम साहू कोसीर मुख्यालय के गांव कुम्हारी का रहने वाला है ।वर्तमान में वह अकेला है घर के छत बरसात से टूट गए हैं तो खाने पीने के लाले पड़ गए है ।
*03 वर्ष पहले छत राम साहू के  पिता का निधन हो गया और आज वह बिल्कुल अकेला हो गया है कहने को तो नाते रिस्ते है पर आज उसके साथ कोई नहीं है कभी कभी पड़ोसी उसके दुःख को देख अपनी कुछ सहयोग कर देते है पर उनके अपनों ने मुह मोड़ लिया है ।सरकार की खाद्यान्न योजना से 35 किलो चावल मिलती है जिससे उसका जीवन गुजर बसर हो रहा है ।आखिर छत राम बेबसी की जिंदगी जीने को मजबूर क्यों है छत राम 15 – 16 साल पहले अपने पिता के साथ खाने कमाने अन्य प्रदेश गया था वहां उसके पैर में लोहे के छड़ से चोंट लग गई थी पर अचानक वह घाव बन गया और आज वह पिछले 6 वर्ष से लगभग पैर में हुए घाव के कारण असक्त हो गया है पैर में घाव जो हुआ है वह बता रहा है कि कैंसर में बदल गया है और उसके घाव से बदबू आ रही है उसका इजाज अगर हो जाये तो वह अभी भी बच सकता है पर उनके अपने अब कोई नहीं है जो उसका देख रेख कर सके । छत राम से उसके घर पर जब मिलना हुआ तो उन्होंने अपने स्थिति से अवगत कराते हुए बताया कि मैं गरीब हूँ और इलाज जरूरी है।  वही उनके पिता जब जीवत थे तो इलाज करा रहे थे अब वह बन्द कमरे में अपना जीवन काट रहा है ।फिर भी उसके चेहेरे पर कोई शिकस्त नहीं है शायद वह उस बीमारी के साथ जीना सीख लिया है । मीडिया के सामने अपने बात को रखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री जी से ईलाज के लिए गुहार लगाया है । छत राम अब भी अच्छी जिंदगी जी सकता है बस उसे ईलाज की जरूरत है ।

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