
डब्ल्यूएचओ ने आगाह किया है कि आने वाले महीनों में कोरोना का यह बेहद संक्रामक स्वरूप विश्वभर में हावी हो जाएगा. यह वेरिएंट सबसे पहले भारत में पाया गया था. डब्ल्यूएचओ के साप्ताहिक डाटा के अनुसार दुनिया के 96 देशों में डेल्टा वेरिएंट के मामले पाए गए हैं. बीते सप्ताह से डेल्टा वेरिएंट प्रभावित देशों की यह संख्या 11 से अधिक है यानी बीते सप्ताह की तुलना में ग्यारह नए देशों में इस वेरिएंट का कोहराम शुरू हो गया है.
डबल म्यूटेंट है डेल्टा वेरिएंट
डेल्टा वेरिएंट को डबल म्यूटेंट भी कहा जाता है. इसमें दो म्यूटेशन होते हैं. अल्फा वेरिएंट की तुलना में 55 प्रतिशत अधिक पारगम्य है, जो शुरूआत में ब्रिटेन में पाया गया था और तेजी से वैश्विक स्तर पर प्रमुख तनाव बन गया. अफ्रीका ने वेरिएंट के कई नए प्रकोपों की सूचना दी है क्योंकि ट्यूनीशिया, मोजाम्बिक, युगांडा, नाइजीरिया और मलावी इस डेल्टा से संक्रमित 11 देशों में शामिल हैं. संभव है कि वास्तविक आंकड़ा और अधिक हो सकता है, क्योंकि वायरस के इस स्वरूप की पहचान के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग क्षमताएं सीमित हैं. कई देशों ने बताया है कि उनके यहां डेल्टा के कारण संक्रमण बढ़ रहा है. अस्पतालों में इस वेरिएंट के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र की इस स्वास्थ्य एजेंसी ने चेताया है कि आने वाले महीनों में डेल्टा वेरिएंट के सबसे हावी होने का अंदेशा है.
यूरोप में तीसरी लहर की चेतावनी जारी
पिछले हफ्ते डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेबरेसस ने कहा था कि अब तक कोरोना के जितने वेरिएंट की पहचान हुई है, उनमें से डेल्टा सबसे संक्रामक है. यह वेरिएंट उन लोगों में तेजी से फैल रहा है, जिनको कोरोना टीका नहीं लगा है. उन्होंने कहा, ‘कुछ देशों ने पाबंदियों में ढील दी है, जिसके कारण विश्व में संक्रमण बढ़ रहा है.’ ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अल्फा वेरिएंट के मामले 172 देशों में मिले हैं. बीटा के 120 और गामा के 72 देशों में मामले पाए गए हैं. यही वजह है कि डब्ल्यूएचओ ने यूरोप में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चेतावनी दी है. डब्ल्यूएचओ के यूरोप मामलों के प्रमुख हंस क्लूगे ने कहा कि यूरोप में कोरोना के नए मामलों में दस हफ्ते से जारी गिरावट का दौर खत्म होने वाला है. अगर लोग अनुशासित नहीं रहे तो एक और लहर को टाला नहीं जा सकता है.
सितंबर तक 10 फीसद आबादी को वैक्सीन लग ही जाए
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस ने गुरुवार को प्रत्येक देश से सितंबर तक अपनी 10 फीसद आबादी को वैक्सीन लगाने की अपील की. इसके साथ ही उन्होंने आगाह किया, ‘जब तक हम हर जगह महामारी खत्म कर नहीं कर देंगे, तब तक इसे पूरी तरह खत्म नहीं कर पाएंगे.’ महानिदेशक टेड्रोस ने यह चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कई देश टीकाकरण में काफी आगे निकल गए हैं जबकि कुछ देशों के पास अपने स्वास्थ्यकर्मियों, बुजुर्गों और अन्य खतरे वाले लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन नहीं है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, कई देशों में एक फीसद लोगों को भी टीका नहीं लग पाया है जबकि कुछ देशों में 60 फीसद का टीकाकरण हो चुका है.