नवरात्रि में इस बार बम्लेश्वरी मैया को बांस की टोकरी में गौठान का फूल चढ़ाया जा रहा, वजह जानकर आपको भी होगी बेहद ख़ुशी

रायपुर. नवरात्रि में इस बार डोंगरगढ़ की बम्लेश्वरी मैया को बांस की टोकरी में गौठान के फूल चढ़ाए जा रहे हैं. स्थानीय महिला समूह के द्वारा गेंदा फूल की खेती से इस साल बाहरी फूलों की आवक और निर्भरता कम हो गई है. डोंगरगढ़ में प्लास्टिक को बैन करने के बाद स्थानीय बंसोड समुदाय के लोगों को बांस दिलवाकर उनसे बांस की टोकरी बनवाई जा रही है. श्रद्धालु बांस की टोकरी में स्थानीय फूल माता रानी को चढ़ा रहे हैं. राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम पटपर स्थित सामुदायिक गौठान में मां लक्ष्मी स्व-सहायता समूह गेंदा फूल का व्यावसायिक उत्पादन कर रहे हैं. केवल पटपर ही नहीं बल्कि जिले के अन्य सामुदायिक गौठानों में गेंदा फूल की व्यावसायिक तौर पर खेती की जा रही है. इससे भी बड़ी बात यह है कि गेंदा फूल का व्यावसायिक उत्पादन करने वाले स्व-सहायता समूहों को बाजार के लिए भटकना नहीं पड़ रहा है. डोंगरगढ़ में नवरात्रि के अलावा अन्य दिनों में भी श्रद्धालुओं की कतार लगी रहती है, जिसकी वजह से फूल की मांग 12 महीने बनी रहती है. डोंगरगढ़ में दुकान लगाने वाले करीबन हजार किलोमीटर दूर कोलकाता से फूल मंगाया करते हैं. लेकिन अब स्थानीय गौठानों में फूलों का व्यावसायिक उत्पादन होने से कोलकाता पर दुकानदारों की निर्भरता कम हो गई है. स्थानीय प्रशासन ने केवल स्थानीय स्तर पर फूलों की खेती को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि उसके साथ जुड़े उत्पादकों के भी स्थानीयकरण पर जोर दे रहा है.

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